नई दिल्ली / लखनऊ : केंद्र के सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा को छुट्टी पर भेजने के फैसले को ‘‘अवैध” और सीबीआई अधिनियम का उल्लंघन करार देते हुए इसके खिलाफ शनिवार को उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की है. लोकसभा में कांग्रेस के नेता खड़गे ने अपनी याचिका में कहा कि अधिनियम के मुताबिक सीबीआई निदेशक की नियुक्ति या उसे हटाने के बारे में नेता प्रतिपक्ष, प्रधानमंत्री और प्रधान न्यायाधीश की तीन सदस्यीय समिति को ही अधिकार है.उन्होंने यह भी कहा कि केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) के पास सीबीआई निदेशक के खिलाफ कार्रवाई का कोई अधिकार नहीं है. खड़गे ने इस संबंध में सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर करने की पुष्टि करते हुए भाषा को बताया, ‘‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा स्वत: संज्ञान लेते हुए सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा को छुट्टी पर भेजे जाने की कार्रवाई अवैध है और यह सीबीआई अधिनियम का उल्लंघन भी है.” पार्टी सूत्रों ने कहा कि कांग्रेस ने खड़गे से कहा था कि वह इस संबंध में याचिका दायर करें. खड़गे सीबीआई निदेशक की नियुक्ति करने वाली समिति के सदस्य भी हैं
Rakesh Asthana के खिलाफ सीबीआई के एडिशनल SP एसएस गुरम ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की है. इस याचिका में उन्होंने कहा कि अस्थाना के खिलाफ 15 अक्टूबर को सीबीआई में दर्ज FIR बिल्कुल सही है. FIR दर्ज करने में कानूनी प्रक्रिया का पालन किया गया है और अब राकेश अस्थाना कोर्ट को गुमराह कर रहे हैं. याचिका में दिल्ली हाईकोर्ट से अस्थाना की उस याचिका को खारिज करने की मांग की गई है जिसमें अस्थाना ने FIR रद्द करने की मांग की है. गुरम ने कहा है कि अस्थाना पर जुर्माना भी लगाया जाए. गुरम ने अस्थाना की याचिका में उन्हें शामिल करने की अपील भी की है. साथ ही यह भी कहा है कि यह FIR सुप्रीम कोर्ट के ललिता कुमारी फैसले के तहत दर्ज की गई. जिसमें कहा गया था कि किसी संज्ञेय अपराध की शिकायत मिलने पर FIR दर्ज की जाए.