नई दिल्ली। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मद्रास औपचारिक और अनौपचारिक अर्थव्यवस्था में हितधारकों को जोड़कर इलेक्ट्रॉनिक कचरे से निपटने के लिए एक अभिनव मॉडल विकसित कर रहा है।
”ई-सोर्स” नाम का आदान प्रदान प्लेटफॉर्म ‘विद्युत एवं इलेक्ट्रॉनिक उपकरण अपशिष्ट’ के लिए एक ऑनलाइन बाजार के रूप में काम करेगा और विभिन्न हितधारकों के बीच एक औपचारिक आपूर्ति श्रृंखला में सुविधा प्रदान करेगा। इस पहल का नेतृत्व इंडो-जर्मन सेंटर फॉर सस्टेनेबिलिटी (आईजीसीएस) द्वारा किया जा रहा है।
अधिकारियों के अनुसार, इस पहल का उद्देश्य बाजार में उपभोक्ता के उपयोग के बाद उत्पन्न ई-कचरे का पता लगाना और उसे प्राप्त करके एक ‘सर्कुलर इकोनॉमी’ के विकास में ‘विद्युत एवं इलेक्ट्रॉनिक उपकरण अपशिष्ट’ को एक प्रमुख संसाधन बनाना है।
आईआईटी मद्रास में इंडो-जर्मन सेंटर फॉर सस्टेनेबिलिटी के फैकल्टी सदस्य सुधीर चेला राजन ने कहा, ”एक नए खुले स्रोत समाधान की आवश्यकता है जो डेटा समृद्ध हो, औपचारिक ई-कचरे से निपटने और प्रबंधन में पारदर्शिता की क्षमता का लाभ उठाये।
ई-कचरे को संभावित पुन: उपयोग और पुनर्प्रयोजन विकल्पों की तलाश किये बिना आमतौर पर कीमती धातुओं और अन्य उच्च-मूल्य वाली सामग्री के लिए पूरी तरह से ताड़फोड़ दिया जाता है या कचरा निस्तारण स्थलों में डाल दिया जाता है। अवैज्ञानिक पुनर्चक्रण विधियां अपशिष्ट से निपटने वालों और पर्यावरण के लिए हानिकारक हैं।”
उन्होंने कहा, ”ई-सोर्स एक अनूठा खुला स्रोत प्लेटफॉर्म है जो दिशानिर्देशों के अनुपालन में ई-कचरे का बेहतर तरीके से पता लगाने के लिए मशीन लर्निंग का उपयोग करने की दिशा में विकसित होगा और ई-कचरे की मरम्मत और पुन: उपयोग के अवसरों को बढ़ाने में मदद करेगा।”