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इस खास वजह से मनाई जाती है होली, जानिए वो कथा जो शायद आपने कभी नहीं सुनी होगी

रंगो का त्योहार आने वाला है और सभी इसका बेस्रबी से इंतजार भी कर रहे हैं. होली पर हम कितनी सारी तैयारियां करते हैं. कभी गुजिया बना रहे होते हैं तो कभी बाजार से रंग और पिचकारी खरीद रहे होते हैं. लेकिन एक काम जो सिर्फ बच्चे करते हैं, वो है अपने बड़ो से कहानी सुनना. जी हां हमारे घर के बड़े होली के पर्व पर कितनी सारी पौराणिक कथाएं सुनाते हैं और हम कितनी रुचि के साथ उनको सुनते हैं. लेकिन ऐसा अक्सर देखा गया है कि होली के दिन जो कथा हर बार सुनाई जाती है वो है बालक प्रहलाद की. लेकिन क्या आप जानते हैं होली की तो और भी काफी सारी कथाएं है जिनको सुनकर मन प्रसन्न हो जाता है. चलिए आज आपको बताते हैं होली की वो कथा जो आपने शायद कभी नहीं सुनी होगी-

पूतना वध कथा
प्राचीन काल में कंस नाम का एक दुष्ट राजा हुआ करता था. वो अपनी प्रजा को खूब प्रताड़ित करता था. उसके अत्याचार से हर कोई बेहद परेशान था. इतना अत्याचारी होने के बावजूद कंस अपनी बहन देवकी से बहुत प्यार करता था. कुछ समय बाद कंस ने अपनी बहन देवकी की शादी वासुदेव के साथ तय कर दी. कंस इस रिश्ते से बेहद प्रसन्न था. लेकिन कंस की यह खुशी ज्यादा समय तक नहीं टिकी रह सकी. शादी के दिन एक आकाशवाणी हुई. इस  आकाशवाणी को सुनने के बाद मानो कंस की दुनिया हिल गई. दरअसल इस अकाशवाणी में भगवान ने कंस को चेतावनी देते हुए बताया कि देवकी की आठवीं संतान के हाथों उसका वध होगा. ये सुनते ही कंस क्रोध में आ गया.

इसके बाद उसने देवकी और वासुदेव को अपने महल की एक काल कोठरी में बंद कर दिया. अपनी मत्यु से बचने के लिए कंस एक एक करके  देवकी की सभी संतानों का वध करता रहा. कंस को देवकी की आठवीं संतान पैदा होने का बेसब्री से इंतजार था. कुछ समय बाद एक अंधेरी रात में देवकी ने अपनी आठवी संतान को जन्म दिया. देवकी और वासुदेव की आठवी संतान श्री कृष्ण थे. भगवान ने अपनी माया से सभी पहरेदारों को बेहोश कर दिया और वासुदेव श्री कृष्ण को गोकल छोड़ आए. अब इस बात का पता कंस को चला तो उसने मायवी राक्षसी पूतना को बुलाकर उसे गोकल गांव के सभी नवजात शिशुओं को मारने का आदेश दे दिया. बता दें, पूतना को ये वरदान प्राप्त था कि वो अपनी इच्छा अनुसार अपना रूप बदल सकती है.

अब पूतना ने धीरे-धीरे गोकल गांव के सभी बच्चों को मारना शुरू कर दिया. इसके बाद एक दिन आखिरकार पूतना यशोदा- नंद के घर कृष्ण को मारने के लिए भी पहुंच गई. पूतना ने श्री कृष्ण को मारने के लिए उन्हें अपना जहरीला दूध पिलाने की कोशिश की, तब बालगोपाल कृष्ण ने उस राक्षसी का वध कर दिया. पूतना का दूध पीने की वजह से श्री कृष्ण का शरीर गहरे नीले रंग का पड़ गया था. अब सौम्य और सुंदर दिखने वाले कृष्ण नीले रं के दिखने लगे थे. कृष्ण इस बात को स्वीकार नहीं कर पा रहे थे कि अब उनका गोरापन कही लिप्त हो चुका है.

उन्हें लगने लगा कि उनका ये रूप ना राधा को पसंद आएगा ना गोपियों को. इसकी वजह से वो सबसे दूर हो सकते हैं. जिसके बाद माता योशादा ने कृष्ण को सलाह दी कि वो राधा को भी उसी रंग में रंग डालें जिसमें वो उसे देखना चाहते हैं. तब कृष्ण, राधा के पास गए और उनके ऊपर ढेर सारा रंग उड़ेल दिया. उस एक घटना के बाद दोनों एक दूसरे के प्यार में डूब गए और तभी से इस दिन को होली के उत्सव के रूप में मनाया जाने लगा. बता दें, उस दिन फाल्गुन पूर्णिमा का अवसर था, इसलिए होली का त्योहार हमेशा फाल्गुन महीने में मनाया जाता है.

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