रामपुर। उच्चतम न्यायलय ने मंगलवार ट्रिपल तलाक पर सुनवाई करते हुए इसे 3:2 के मत से असंवैधानिक करार दे दिया है। ट्रिपल तलाक पर पिछले कई सालों से तीखी बहस जारी है कि इसे बने रहना चाहिए या नहीं। राजनीतिक पार्टी के नेता और अलग अलग संगठन भी इस पर अलग अलग राय रखते हैं। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर सपा नेता आजम खान ने सहमति जताई है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि कोई सरकार इस्लामिक कानूनों से ऊपर नहीं है।
आजम खान ने कोर्ट के इस फैसले पर कहा कि कोई भी न्यायालय हो उसके फैसलों का सम्मान करना चाहिए। भारत में लोकतंत्र का कुछ भी हिस्सा बाकी है, तो धार्मिक आस्थाओं से खिलवाड़ नही होगा। वरना ये बड़ा मुश्किल होगा कि किसकी आस्था पर कब कुठराघात हो जाये।
सहमति से बने कानून
उन्होंने संसद द्वारा ट्रिपल तलाक पर कानून बनाये जाने पर कहा कि अगर पार्लियामेंट इस सिलसिले में कोई कानून बनाता है तो इस्लामिक स्कॉलर्स की राय पर बनाया जायेगा। वो ये उम्मीद करते है कि पार्लियामेंट जो भी कानून बनायेगी वो इस्लामिक कानून, उनकी आस्था के अनुसार होगा। पार्लियामेंट उन इस्लामिक विद्वानों की राय मशवरे से कानून बनाये जिनकी दुनियाभर में मान्यता है।
धर्म को बदला नहीं जा सकता
ट्रिपल तलाक पर आजम खान ने आगे कहा कि किसी पार्टी की वजह से किसी धर्म को बदला नहीं जा सकता। कोई राजनितिक दल इस्लाम धर्म में तब्दील नहीं कर सकता। धर्म और धार्मिक आस्थाओं में किसी राजनितिक दल का कोई रोल नहीं होना चाहिए।
कोर्ट कैसे पहुंचा ट्रिपल तलाक
आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट का ये फैसला सायरा बानो नाम की महिला की अर्जी के बाद खबरों में आया था। उन्होंने अपनी अर्जी में कहा था ट्रिपल तलाक महिलाओं को दो शादियों से बचाने में नाकाम है। ट्रिपल तलाक न तो इस्लाम का हिस्सा है और न ही आस्था का।