लखनऊ : सोची में मोदी की राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात
इसी साल मार्च महीने में एक बार फिर से छह सालों के लिए राष्ट्रपति चुने जाने के बाद पुतिन की मोदी से ये पहली मुलाक़ात है.
इस मुलाक़ात को अनौपचारिक और बिना कोई एजेडा के कहा जा रहा है.
30 अप्रैल को चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से इसी तरह की अनौपचारिक मुलाक़ात करने मोदी चीनी शहर वुहान पहुंचे थे.
ट्वीट पर मोदी ने बताया
एक सवाल यह भी उठ रहा है कि एक तरफ़ तो पीएम मोदी अमरीका, जापान, ऑस्ट्रेलिया के साथ मिलकर चीन का सामना करने के लिए साझेदारी बढ़ा रहे हैं तो दूसरी तरफ़ चीन, रूस और पाकिस्तान वाले शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गेनाइजेशन के साथ भी आगे बढ़ना चाहते हैं.
कुछ लोग ये भी पूछने लगे हैं कि क्या मोदी रूस, अमरीका और चीन को लेकर कन्फ्यूज़ हैं?
21 मई को मोदी सोची में पुतिन से चार-पांच घंटों की मुलाक़ात करेंगे और उसी दिन वापस आ जाएंगे.
मोदी ने इस दौरे की पूर्व संध्या पर रविवार को ट्वीट किया, “हमें पूरा भरोसा है कि राष्ट्रपति पुतिन से बातचीत के बाद भारत और रूस की ख़ास रणनीतिक साझेदारी और मजबूत होगी.”
विशेषज्ञों का मानना है कि मोदी और पुतिन के बीच कई मुद्दों पर बात हो सकती है.
सीएएटी एस ए का मुद्दा
सबसे बड़ा मुद्दा है सीएएटीएसए यानी अमरीका का ‘काउंटरिंग अमरीकाज एडवर्सरिज थ्रू सेक्शन्स ऐक्ट.’ अमरीकी कांग्रेस ने इसे पिछले साल पास किया था.
उत्तर कोरिया, ईरान और रूस पर अमरीका ने इस क़ानून के तहत पाबंदी लगाई है. कहा जा रहा है कि अमरीका की इस पाबंदी से रूस-भारत के रक्षा सौदों पर असर पड़ेगा.
भारत नहीं चाहता है कि रूस के साथ उसके रक्षा सौदों पर किसी तीसरे देश की छाया पड़े.
भारतीय मीडिया में ये बात भी कही जा रही है कि भारत ने ट्रंप प्रशासन में इस मुद्दे को लेकर लॉबीइंग भी शुरू कर दी है ताकि इस पाबंदी से भारत को रूस से रक्षा ख़रीदारी में किसी भी तरह की बाधा का सामना न करना पड़े.