नई दिल्ली: इसरो के पूर्व वैज्ञानिक एस. नांबी नारायणन (नंबी नारायणन) के लिए पद्म पुरस्कार की घोषणा किए जाने के एक दिन बाद राज्य के पूर्व पुलिस प्रमुख टी.पी. सेनकुमार ने इस निर्णय की निंदा की है. उन्होंने कहा है कि यह पुरस्कार ऐसे समय में दिया गया है, जब सर्वोच्च न्यायालय की एक समिति इसरो खुफियागिरी मामले की जांच कर रही है. सेनकुमार को खुफियागिरी के इन आरोपों की जांच करने की जिम्मेदारी दी गई थी, जिसमें नारायणन की संलिप्तता रही है. सेनकुमार ने कहा, “यदि किसी पद्म पुरस्कार के लिए योग्यता का यही मानक है, तो गोविंदा चामी, अमीरुल इस्लाम (दोनों दो महिलाओं की हत्या में आरोपी) और मरियम राशीदा (इसरो खुफियागिरी मामले में नारायणन के साथ आरोपी) जैसे लोगों को अगले साल कोई पद्म पुरस्कार मिल जाएगा.” सेनकुमार ने कहा, “नारायणन औसत से नीचे के वैज्ञानिक हैं.
इसरो में काम कर रहे किसी भी वैज्ञानिक से उनके योगदान के बारे में पूछ लीजिए.” इसरो खुफियागिरी मामला 1994 में उस समय सामने आया था, जब नारायणन को इसरो के एक अन्य शीर्ष अधिकारी, दो मालदीवी महिलाओं और एक कारोबारी के साथ खुफियागिरी के आरोपों में गिरफ्तार किया गया था. सीबीआई ने 1995 में नारायणन को क्लीनचिट दे दिया था और उसके बाद से वह तत्कालीन पुलिस महानिरीक्षक सिबी मैथ्यूज (जिन्होंने मामले की जांच की थी), और दो अन्य पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं. पिछले वर्ष सर्वोच्च न्यायालय ने केरल सरकार को निर्देश दिया कि वह उन्हें परेशान करने के लिए 50 लाख रुपये मुआवजा दे. तत्कालीन ई.के. नयनार सरकार (1996-2001) ने इसरो खुफिया मामले की फिर से जांच करने का निर्देश सेनकुमार को दिया था, लेकिन जांच नतीजे तक नहीं पहुंच पाई, तबतक सर्वोच्च न्यायालय ने उन्हें बरी कर दिया.
सेनकुमार की टिप्पणियों पर अपनी प्रतिक्रिया में नारायणन ने कहा कि मुआवजे की उनकी याचिका में सेनकुमार एक पक्षकार थे. नारायणन ने कहा, “सेनकुमार ने आज जो कहा वह निराधार और अप्रासंगिक है और इसका जवाब देने की जरूरत नहीं है. उन्होंने जो कहा है शायद इसलिए, क्योंकि वह सर्वोच्च न्यायालय को भ्रमित करना चाहते हैं. मुझे नहीं पता कि उनका कोई एजेंडा है. वह मूर्खतापूर्ण बातें कर रहे हैं.” सेनकुमार को ठीक उसी दिन राज्य पुलिस प्रमुख पद से हटा दिया गया था, जिस दिन मौजूदा मुख्यमंत्री पिनरई विजयन ने मई 2016 में पदभार संभाला था.
लंबी कानूनी लड़ाई के बाद सर्वोच्च न्यायालय ने मई 2017 में उन्हें बहाल कर दिया था. वह जून 2017 में सेवानिवृत्त हो गए. अब वह भाजपा के एक गठबंधन सहयोगी, एबीडीजेएस के उम्मीदवार के रूप में आगामी लोकसभा चुनाव लड़ सकते हैं. राज्य के संस्कृति मंत्री ए.के. बालन ने कहा कि सेनकुमार की टिप्पणी अस्वीकार्य है. उन्होंने कहा, “राज्य भाजपा प्रमुख पी.एस. श्रीधरन पिल्लै को सेनकुमार के इस तरह के बयानों का जवाब देना चाहिए.”