इलाहाबाद: इलाहाबाद हाईकोर्ट में बुधवार को उस समय अजीबोगरीब स्थिति पैदा हो गई, जब एक मामले में पेश हुए कथित वकील को उसके ही नाम के एक दूसरे वकील का रोल नंबर उपयोग करते हुए पाया गया. यह मामला अदालत के संज्ञान में उस समय आया, जब असली अधिवक्ता ने अदालत को सूचित किया कि इस अदालत के साथ धोखाधड़ी कर उसका रोल नंबर उपयोग किया जा रहा है.
इस घटना को गंभीरता से लेते हुए अदालत ने रजिस्ट्रार जनरल को इस मामले की जांच करने और 14 सितंबर तक एक सीलबंद लिफाफे में रिपोर्ट पेश करने को कहा है. मामले की अगली सुनवाई 14 सितंबर को होगी.
कथित वकील पर रोक
इस बीच, अदालत ने अधिवक्ता जितेंद्र कुमार सिंह के नाम पर वकालत कर रहे व्यक्ति को किसी भी अदालत के समक्ष पेश होने या अधिवक्ता का यूनीफार्म पहनने से रोक दिया. राम गोपाल नाम के एक व्यक्ति द्वारा दायर आपराधिक याचिका पर बुधवार को जब सुनवाई शुरू की गई, तो राम गोपाल का वकील इस मामले में बहस के लिए खड़ा हुआ. तभी अदालत में मौजूद एक अन्य अधिवक्ता ने आपत्ति की कि जिस जितेंद्र कुमार सिंह का रोल नंबर उपयोग किया जा रहा है, वह जितेंद्र कुमार वह स्वयं हैं.
दोनों वकीलों के हैं एक जैसे नाम
मामला दायर करने वाले वकील ने इस पर कहा कि उसका नाम भी जितेंद्र कुमार सिंह है और मामला दायर करते समय त्रुटिवश गलत रोल नंबर का उल्लेख हो गया होगा. बाद में उसने स्वीकार किया कि अधिवक्ता रोल नंबर के लिए उसका आवेदन खारिज कर दिया गया था.
15 दिनों के भीतर मांगी हाईकोर्ट ने रिपोर्ट
जस्टिस विपिन सिन्हा ने रजिस्ट्रार जनरल को इस मामले की जांच कर 15 दिन के भीतर सीलबंद लिफाफे में रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया. अधिवक्ता जितेंद्र कुमार सिंह के तौर पर खुद को पेश करने वाले व्यक्ति को पुलिस द्वारा हिरासत में लेकर रजिस्ट्रार जनरल के समक्ष पेश किया गया, जिन्होंने प्रारंभिक पूछताछ कर उसे सुनवाई की अगली तारीख पर हाजिर होने की हिदायत देते हुए रिहा कर दिया. उल्लेखनीय है कि हाईकोर्ट से रोल नंबर प्राप्त करने वाले अधिवक्ता ही मामला दायर कर सकते हैं और जिरह के लिए अदालत में पेश हो सकते हैं.