लखनऊ : राष्ट्रपिता महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) का जन्म 2 अक्टूबर को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था. मोहनदास करमचन्द गांधी भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के प्रमुख नेता थे. गांधी जी (Gandhi Ji) अपने अहिंसात्मक आंदोलन के लिए जाने जाते हैं. भारत की आजादी में गांधी जी ने बेहद अहम भूमिका निभाई थी. देश की आजादी के लिए गांधी जी कई बार जेल भी गए थे. हर साल 2 अक्टूबर को महात्मा गांधी के जन्मदिन के मौके पर गांधी जयंती (Gandhi Jayanti) मनाई जाती है. .1. मोहनदास करमचंद गांधी का जन्म 2 अक्टूबर को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था. गांधी जी के पिता का नाम करमचन्द गांधी और माता का नाम पुतलीबाई था.
2. मात्र 13 साल की उम्र में साल 1883 में गांधी जी का विवाह कस्तूरबा माखनजी से कर दिया गया था. साल 1885 में गांधी जी की पहली संतान का जन्म हुआ था.
3. शादी के बाद महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) लंदन में कानून की पढाई करने और बैरिस्टर बनने के लिये गए थे. उन्होंने लंदन में पढ़ाई कर बैरिस्टर की डिग्री प्राप्त की थी, लेकिन बंबई उच्च न्यायालय में हुई पहली बहस में वे असफल रहे थे.
4. गांधी जी (Gandhi Ji) को कई बार अपमान के दौर से गुजरना पड़ा था. दक्षिण अफ्रीका में गांधी को रंग भेद का सामना करना पड़ा था, उन्हें प्रथम श्रेणी कोच की वैध टिकट होने के बाद तीसरी श्रेणी के डिब्बे में जाने से इंनकार करने के लिए ट्रेन से धक्का देकर निकाल दिया गया था.
5. महात्मा गांधी ने भारत की आजादी में बेहद खास योगदान दिया था. देश की आजादी की लड़ाई के चलते उन्हें कई बार जेल जाना पड़ा था.6. महात्मा गांधी को 5 बार नोबेल पुरस्कार के लिए नामित किया गया था, लेकिन उन्हें एक बार भी नोबेल पुरस्कार नहीं मिला.
6. महात्मा गांधी को 5 बार नोबेल पुरस्कार के लिए नामित किया गया था, लेकिन उन्हें एक बार भी नोबेल पुरस्कार नहीं मिला.
7. दुनिया की सबसे बड़ी मोबाइल कंपनियों में से एक एप्पल के संस्थापक स्टीव जॉब्स गांधी जी को सम्मान देने के लिए गोल चश्मा पहनते थे.
8. भारत में छोटी सड़कों को छोड़कर महात्मा गांधी के नाम पर 50 से ज्यादा सड़के हैं. साथ ही गांधी जी के नाम पर विदेशों में करीब 60 सड़के हैं.
9. महात्मा के गांधी के जन्म दिन के दिन Gandhi Jayanti मनाई जाती है.
10. 30 जनवरी, 1948 को नाथूराम गोडसे ने महात्मा गांधी की गोली मारकर हत्या कर दी थी. महात्मा गांधी की शवयात्रा को आजाद भारत की सबसे बड़ी शवयात्रा कहा जाता है. गांधी जी को अंतिम विदाई देने के लिए करीब दस लाख लोग साथ चल रहे थे और 15 लाख लोग रास्ते में खड़े थे.