लखनऊ / नई दिल्ली : चार राज्यों में चुनावों को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज़ाद हिन्द फ़ौज के बहाने साल में दूसरी बार रविवार को लाल किले पर तिरंगा फहराया. आजाद हिंद सरकार की 75वीं वर्षगांठ के मौके पर लाल किले में आज बेहद खास कार्यक्रम आयोजित किया गया है. इस कार्यक्रम में आजाद हिंद फौज के कई वयोवृद्ध स्वतंत्रता सेनानी, नेता जी सुभाष चंद्र बोस के रिश्तेदार मौजूद रहे. पीएम ने कहा कि इस मौके पर लाल किले पर तिरंगा फहराना उनका सौभाग्य है. उन्होंने कहा कि ये वही लाल किला है जहां पर विक्ट्री परेड का सपना 75 साल पहले नेता जी सुभाष चंद्र बोस ने देखा था.दरअसल, 75 साल पहले 21 अक्टूबर 1943 के दिन सुभाष चंद्र बोस ने आज़ाद भारत की पहली अस्थाई सरकार बनाई थी. पीएम मोदी ने कहा कि नेता जी ने उस सत्ता के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी, जिसका सूरज कभी अस्त नहीं होता था. पीएम ने कहा कि भारत की गुलामी को लेकर नेता जी के मन में काफी दुख था. इस दुख से व्यथित होकर उन्होंने मात्र 15-16 साल की उम्र में ही अपनी मां को एक पत्र लिखा था और पूछा था कि क्या भारत मां की स्थिति ऐसी ही जर्जर रहेगी?
प्रधानमंत्री ने इस मौके पर कांग्रेस पर अप्रत्यक्ष रूप से हमला किया. पीएम मोदी ने कहा कि इस देश में एक परिवार को बड़ा बनाने के लिए कइयों के योगदान को भुलाया गया. फिर वो चाहे सरदार पटेल हों, बाबा साहेब आंबेडकर हों, या फिर नेताजी.
पीएम ने सुभाष चंद्र बोस के कैम्ब्रिज के दिनों का जिक्र करते हुए कहा. उन्होंने कहा कि सुभाष चंद्र बोस ने लिखा था, “हम भारतीयों को ये सिखाया जाता है कि यूरोप, ग्रेट ब्रिटेन का ही बड़ा स्वरूप है. इसलिए हमारी आदत यूरोप को इंग्लैंड के चश्मे से देखने की हो गई है.”
पीएम नरेंद्र मोदी ने इस मौके पर दुनिया की ताकतों को संदेश दिया. पीएम ने कहा कि भारत की सैन्य ताकत हमेशा से आत्मरक्षा के लिए रही है और आगे भी रहेगी. पीएम ने कहा कि हमें कभी किसी दूसरे की जमीन का लालच नहीं रहा, लेकिन भारत की संप्रभुता के लिए जो भी चुनौती बनेगा, उसको दोगुनी ताकत से जवाब मिलेगा.
माना जा रहा है कि इन महापुरुषों को याद कर पीएम मोदी राजनीतिक संदेश भी देना चाहते हैं. हालांकि कांग्रेस की ओर से अकसर इसकी आलोचना करते हुए आरोप लगाया जाता रहा है कि पीएम मोदी और बीजेपी उनके प्रतीक महापुरुषों को हथिया रहे हैं.