लखनऊ। उत्तर प्रदेश राज्य सूचना आयोग ने उसके द्वारा राज्य सरकार को भेजी गयी वार्षिक रिपोर्ट को आरटीआई एक्ट में देने से मना कर दिया है, एक्टिविस्ट डॉ नूतन ठाकुर ने वर्ष 2015-16 तथा 2016-17 में आयोग द्वारा राज्य सरकार को भेजी गयी वार्षिक रिपोर्ट की प्रति मांगी थी. आयोग के जन सूचना अधिकारी ने नूतन को बताया कि वर्ष 2015-16 की रिपोर्ट 30 दिसंबर 2016 तथा 2016-17 की रिपोर्ट 04 अक्टूबर 2017 को भेजी गयी किन्तु उन्होंने इसकी प्रति यह कहते हुए देने से इनकार कर दिया कि अभी ये रिपोर्ट विधानमंडल के पटल पर नहीं रखे गए हैं, मुख्य सूचना आयुक्त जावेद उस्मानी ने जन सूचना अधिकारी की बात को सही ठहराते हुए कहा है ।
आरटीआई एक्ट की धारा 25 में भेजी गयी वार्षिक रिपोर्ट विधान मंडल के पटल पर रखी जाती है और यदि ये रिपोर्ट अभी विधान मंडल में नहीं रखे गए हैं तो इन्हें सार्वजनिक करना विधानमंडल के विशेषाधिकार का हनन होगा. अतः उन्होंने इसे आरटीआई एक्ट की धारा 8(1) (ग) में देने से मना कर दिया, नूतन ने कहा कि वे इस आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती देंगी। मुख्य सूचना आयुक्त जावेद उस्मानी ने जन सूचना अधिकारी की बात को सही ठहराते हुए कहा है कि आरटीआई एक्ट की धारा 25 में भेजी गयी वार्षिक रिपोर्ट विधान मंडल के पटल पर रखी जाती है और यदि ये रिपोर्ट अभी विधान मंडल में नहीं रखे गए हैं तो इन्हें सार्वजनिक करना विधानमंडल के विशेषाधिकार का हनन होगा. अतः उन्होंने इसे आरटीआई एक्ट की धारा 8(1) (ग) में देने से मना कर दिया, नूतन ने कहा कि वे इस आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती देंगी।