नई दिल्ली: मंगलवार को राज्यसभा में तीन तलाक बिल पेश हो सकता है. इस बिल को पास कराने के लिए बीजेपी ने अपने सभी सांसदों को व्हिप जारी किया है. बता दें कि तीन तलाक बिल को राज्यसभा में संशोधित कार्यसूची में डाला गया है. राज्यसभा में एनडीए को बहुमत नहीं है. जनता दल यूनाईटेड बिल के के खिलाफ है. सरकार को बीजेडी के समर्थन की उम्मीद है. तीन तलाक बिल 25 जुलाई को लोकसभा में विपक्ष के भारी विरोध के बीच पारित हो चुका है. कांग्रेस ने तीन तलाक को निषेध करने वाले विधेयक को स्थायी समिति को भेजने की मांग करते हुए कहा है कि तीन तलाक को फौजदारी का मामला बनाना उचित नहीं है. अब मोदी सरकार के सामने तीन तलाक बिल को राज्यसभा में पारित कराने की चुनौती है. लोकसभा में पारित तीन तलाक बिल को राज्यसभा में पारित कराना आसान नहीं है. राज्यसभा में एनडीए को बहुमत हासिल नहीं है और इसके अलावा उसका सहयोगी दल जेडीयू भी इस बिल पर उसके साथ नहीं है. आइये पढ़ते हैं इसके प्रावधान और बिल से जुड़ी बातेंTriple Talaq Bill से जुड़ी बातें
- लोकसभा में भी इस बिल पर मतदान के दौरान जेडीयू के सांसदों ने वॉक आउट किया था.
- लोकसभा में 25 जुलाई को विपक्ष के भारी विरोध के बीच तीन तलाक बिल पास हो गया था.
- बिल पर वोटिंग से पहले लोकसभा से जेडीयू, टीआरएस, YSR कांग्रेस और TMC ने वॉकआउट कर दिया था.
- जेडीयू, टीएमसी वोट से अलग रहीं, वहीं, बीजेडी ने बिल के पक्ष में वोट किया था. टीआरएस, वाईएसआर कांग्रेस बिल के खिलाफ हैं.
- तुरंत तीन तलाक यानी तलाक-ए-बिद्दत को रद्द और गैर कानूनी बनाना.
- तुरंत तीन तलाक को संज्ञेय अपराध मानने का प्रावधान, यानी पुलिस बिना वारंट गिरफ़्तार कर सकती है.
- तीन साल तक की सजा का प्रावधान है.
- मजिस्ट्रेट आरोपी को जमानत दे सकता है. जमानत तभी दी जाएगी, जब पीड़ित महिला का पक्ष सुना जाएगा.
- पीड़ित महिला के अनुरोध पर मजिस्ट्रेट समझौते की अनुमति दे सकता है.
- पीड़ित महिला पति से गुज़ारा भत्ते का दावा कर सकती है.