नई दिल्ली: चुनाव आयोग आज यानी शनिवार दोपहर तक महाराष्ट्र और हरियाणा में चुनाव की तारीखों का ऐलान कर सकता है. इसे लेकर सभी तरह की तैयारियां पूरी कर ली गई हैं. सूत्रों के अनुसार आयोग फिलहाल झारखंड में चुनाव की तारीखों की घोषणा नहीं करेगा. मिली जानकारी के अनुसार हरियाणा और महाराष्ट्र में 27 अक्टूबर से पहले पहले चुनाव हो सकते हैं. चुनाव की तरीखों के ऐलान के साथ ही इन राज्यों में आचारसंहिता लागू हो जाएगी. महाराष्ट्र में बीजेपी और उसकी सहयोगी पार्टी शिवसेना पहले ही चुनाव मोड में दिख रही है. ये दोनों ही पार्टियों अपने वोटरों तक पहुंचने के लिए पद यात्रा से लेकर सभाओं का आयोजन कर रही हैं. बीजेपी नेता और राज्य के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने अपने मतदाताओं तक पहुंचने के लिए पिछले ही महीनें महा जन आदेश यात्रा निकाली थी. वहीं, पीएम मोदी ने भी शुक्रवार को एक रोड शो और एक रैली को संबोधित करते हुए बीजेपी को एक बार फिर सत्ता में लाने की मांग की.
महाराष्ट्र के पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 288 में से 122 सीटों पर जीत दर्ज की थी. इसी तरह हरियाणा में भी बीजेपी को बहुमत हासिल हुआ था. इन दोनों ही राज्यों में बीजेपी एक बार फिर सत्ता में आने की कोशिश करेगी तो वहीं कांग्रेस इन दोनों राज्यों में कम होती साख को दोबारा हासिल करने की कोशिश करेगी. गौरतलब है कि कुछ दिन पहले ही महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में बीजेपी – शिवसेना साथ मिलकर लड़ेंगे या नहीं, इस सवाल पर अब विराम लगा दिया था. खुद शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने ये साफ कर दिया था कि गठबंधन तय है लेकिन कौन कितनी सीट पर लड़ेगा ये सस्पेंस अभी बरकार है. अगले महीने होने वाले चुनाव के मद्देनजर पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ हुई बैठक के बाद पत्रकारों से बातचीत में ठाकरे ने कहा था कि लोकसभा चुनाव के दौरान फार्मूला तय हुआ था, जब दोनों पार्टियों ने चुनाव पूर्व गठबंधन किया था. उद्धव ने कहा था कि यह मीडिया है जो दोनों दलों के 135-135 सीटों पर चुनाव लड़ने की रिपोर्ट प्रसारित कर रहा है.” शिवसेना बात तो समान बंटवारे की करती है लेकिन साथ में ये भी कह रही है कि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस जो सूची बनाकर देंगे उसपर हम मुहर लगा देंगे. कुछ दिन पहले जब शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने ये बात कही थी तो उसे उनकी नाराजगी के तौर पर लिया गया लेकिन आज फिर उस बात को दोहरा कर उद्धव ठाकरे ने ये साफ कर दिया कि बीजेपी जो देगी उसी में उनका समाधान है. खबर है कि शिवसेना 126 सीटों पर मान गई है. इतना ही नहीं, उद्धव को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राम मंदिर पर कुछ बयानवीर वाली टिप्पणी पर भी कोई ऐतराज नहीं है. उद्धव ठाकरे ने कहा था कि मैं बयानबाजी नहीं करता. राम मंदिर वहां बनना चाहिये ये हम सब की भावना है. मैं अयोध्या जाता रहता हूं. प्रधानमंत्री ने कहा था कि न्यायालय पर भरोसा रखना चाहिए.
अगर न्यायालय से फैसला होता है तो अच्छी बात है.’ तो क्या शिवसेना ने मान लिया है कि ये वक्त बीजेपी से बिगाड़ कर प्रवाह से अलग होने का नहीं बल्कि जो भी मिले उसे लेकर सत्ता में बने रहने का है? इस बैठक से पहले शिवसेना सचिव अनिल देसाई ने कहा था कि 22 सितंबर को भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के मुंबई दौरे के दिन या उससे पहले गठबंधन की घोषणा कर दी जाएगी. 288 सीटों वाली महाराष्ट्र विधानसभा के चुनाव में शिवसेना के 126 सीटों पर और भाजपा के 162 सीटों पर लड़ने संबंधी रिपोर्ट पर देसाई ने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया. उन्होंने कहा कि सीट बंटवारे पर फैसला ठाकरे और मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस करेंगे.
शिवसेना के वरिष्ठ नेता और राज्य सरकार में मंत्री दिवाकर रावटे ने हाल में कहा था कि अगर शिवसेना को 50 फीसदीं सीटें नहीं मिली तो गठबंधन टूट जाएगा. कुछ दिन पहले शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा था, ‘‘भाजपा को 50-50 के फार्मूले का सम्मान करना चाहिए जो शाह और फडणवीस की उपस्थिति में तय किया गया था. उल्लेखनीय है कि सीट बंटवारे पर सहमति नहीं बन पाने के कारण शिवसेना 2014 में विधानसभा चुनाव अकेले लड़ी थी. इसके बाद अक्टूबर में भाजपा ने सरकार बनाई और शिवसेना उसी साल उसमें शामिल हुई. इस बीच उद्धव के चचेरे भाई राज ठाकरे की पार्टी एमएनएस ने भी अपने नेताओं के साथ मैराथन बैठक ली. पता चला है कि ज्यादातर ने विधानसभा चुनाव लड़ने की इच्छा जताई है. एमएनएस ने लोकसभा चुनाव नहीं लड़ा था लेकिन राज ठाकरे ने राज्य भर में सभा कर के नरेंद्र मोदी और अमित शाह के खिलाफ माहौल बनाने की कोशिश की थी. अब अगर विधानसभा चुनाव में हिस्सा लेते हैं तो लड़ाई दिलचस्प बन सकती है.