नई दिल्ली। निजता के अधिकार पर सुप्रीम कोर्ट गुरुवार को फैसला सुना सकती है। दोनों मुद्दों पर नौ और पांच जजों की संविधान पीठों में सुनवाई पूरी हो चुकी है। निजता का अधिकार मौलिक अधिकार है या नहीं, इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट में पिछले सात दिनों से चली बहस 2 अगस्त को पूरी हो गई थी। सुप्रीम कोर्ट में 9 जजों की संवैधानिक बेंच ने निजता के अधिकार पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
“आधार” से उपजा निजता का मुद्दा
आधार कार्ड बनवाने के लिए डाटा इकट्ठा करने के मसले पर निजता की बहस शुरू हुई थी। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा था कि वह आधार कार्ड को खत्म नहीं करने जा रही है। केंद्र सरकार ने अपना पक्ष रखते हुए कहा था कि डाटा प्रोटेक्शन पर कानून ड्राफ्ट करने के लिए एक्सपर्ट कमेटी का गठन कर दिया गया है। सरकार ने बताया कि डाटा प्रोटोक्शन पर विचार करने वाली 10 सदस्यीय कमेटी के अध्यक्ष सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज बीएन श्रीकृष्णा हैं।
याचिकाकर्ताओं की दलीलें
-आधार कार्ड के लिए बायोमीट्रिक डाटा और सूचनाएं एकत्र करने से उनके निजता के अधिकार का हनन होता है।
-निजता सम्मान से जीवन जीने के मौलिक अधिकार का एक हिस्सा है।सरकार की दलीलें-ये मौलिक नहीं, सन्निहित अधिकार है, कॉमन लॉ में आता है।
-निजता हर मामले की परिस्थितियों पर तय होती है।
पहले खारिज हो चुकी दो याचिका
इससे पहले छह और आठ जजों की पीठ दो पूर्व फैसलों में निजता को मौलिक अधिकार मानने से इनकार कर चुकी हैं। इसीलिए इस बार मामले पर नौ न्यायाधीशों की पीठ ने सुनवाई की। दो अगस्त को इस पर बहस पूरी हो गई।