नई दिल्ली: समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने आजमगढ़ लोकसभा सीट से गुरुवार को नामांकन दाखिल किया. इस दौरान उनके समर्थन में सपा-बसपा के हजारों कार्यकर्ता कलेक्ट्रेट परिसर में जुटे. नामांकन के दौरान अखिलेश यादव के साथ बसपा के महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा मौजूद रहे. अखिलेश यादव के खिलाफ बीजेपी ने भोजपुरी सिंगर दिनेश लाल यादव निरहुआ को मैदान में उतारा है. निरहुआ पहली बार बीजेपी के टिकट पर चुनाव में किस्मत आजमा रहे हैं. अभी तक इस सीट से अखिलेश के पिता मुलायम सिंह यादव सांसद रहे. मगर वह इस चुनाव में परिवार का गढ़ कही जाने वाली उस मैनपुरी सीट से चुनाव लड़ रहे हैं,
जहां से वह 2014 में जीत चुके हैं. 2009 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी प्रत्याशी रमाकांत यादव को अगर छोड़ दें तो फिर 1996 से इस सीट पर या तो सपा का कब्जा रहा है या फिर बसपा का. मगर इस बार रमाकांत यादव कांग्रेस में शामिल हुए हैं और बगल की सीट भदोही से उनके चुनाव लड़ने की संभावना जताई जा रही है. सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री तथा भोजपुरी कलाकार के बीच लड़ाई से आजमगढ़ भले सुर्खियों में हो, मगर हर कोई इस चुनाव को लेकर उतना रोमांचित नहीं महसूस कर रहा है. 52 वर्षीय सब्जी विक्रेता कुंजु सोनकर कहते हैं कि वह सभी नेताओं से अपने 22 वर्षीय बेटे चन्नू के लिए न्याय मांगते हैं, जो 2018 में एक कथित मुठभेड़ में मार दिया गया.
चन्नू उन सात लोगों में शामिल थे, जिन्हें यूपी में योगी आदित्यनाथ सरकार बनने के बाद पुलिस ने मुठभेड़ में मार दिया था. जबकि पूरे प्रदेश में अब तक 15 सौ से अधिक एनकाउंटर में 60 की मौत हो चुकी है तो सौ से ज्यादा कथित अपराधी घायल हो चुके हैं. किसी जिले में हुए एनकाउंटर में अगर सात लोग मार दिए जाएं तो यकीनन बड़ी घटना होती है. हालांकि पुलिस का दावा है कि चन्नू पर कम से कम 12 आपराधिक मामले दर्ज थे और उसे जवाबी कार्रवाई में मार गिराया गया.हालांकि उसका परिवार चन्नू के एक अपराधी होने के दावों से इन्कार करता और फर्जी मुठभेड़ में मौत करार देता है.
एनकाउंटर की मजिस्ट्रियल जांच चल रही है और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग भी इसे संज्ञान में लिए हुए है. हालांकि परिवार का आरोप है कि पुलिस पोस्टमार्टम रिपोर्ट जैसे कागजात तक पहुंचने नहीं दे रही है. चन्नू के भाई झब्बू सोनकर ने कहा, जब मुलायम और मायावती सत्ता में थे, तब ऐसा नहीं हुआ था. लेकिन जब से मोदी आए तो बड़े अपराधियों को खुलेआम टहलने की छूट मिली, वहीं जबकि छोटों को मार दिया गया. यूपी में मुठभेड़ों के मुद्दे को जहां यूपी में प्रचारित कर इसे बीजेपी सुशासन का सुबूत बता रही है, वहीं अखिलेश यादव ने मुठभेड़ों को कलंक करार दिया है. अखिलेश यादव ने कहा- लोकसभा का चुनाव एक चौकीदार के बारे में है. मगर हमारे पास एक मुख्यमंत्री हैं, जो ठोकीदार (एनकाउंटर स्पेशलिस्ट) बना हुआ है. जब वह ठोको नीति के तहत काम करने को कहते हैं, तब पुलिस कंफ्यूज होती है और निर्दोषों को मार गिराती है.