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आचार्य ज्ञान सागर महाराज से मिला छात्रों को सफलता का मंत्र, 22 प्रदेश के 300 मेधावियों को मिला सम्मान

आगरा। आराम सफलता का दुश्मन है। धर्म व माता-पिता से जुड़ाव ही असफलता और कम अंक आने जैसी विपरीत परिस्थितियों में तनाव मुक्त रख सकता है। यह कहना था आकाश में ऊंची उड़ान भरने की चाहत संजोए जैन समाज के उन मेधावी विद्यार्थियों का। जिन्हें 90 फीसदी से अधिक प्राप्त करने पर पुरस्कृत किया गया। एमडी जैन इंटर कॉलेज में ज्ञान प्रतिभा संस्थान द्वारा 22 प्रदेश (दिल्ली, एमपी, यूपी, हरियाणा, कर्नाटक, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, राजस्थान आदि) के 300 से अधिक मेधावी विद्यार्थियों स्मृति चिन्ह देकर आचार्य ज्ञान सागर जी महाराज के सानिध्य में पुरस्कृत किया गया। मुख्य अतिथि सांसद राम शंकर कठेरिया ने कहा कि हमारे देश की निधि बैंकों में नहीं बल्कि ये प्रतिभावान बच्चे हैं। लक्ष्य कोई भी हो, उसमें डूबे बिना उसे प्राप्त नहीं कर सकते। विशिष्ठ अतिथि पशुपालन मंत्री एसपी सिंह बघेल ने भी बच्चों को उज्ज्वल भविष्य के लिए शुभकामनाएं दीं। राष्ट्रपति द्वारा पुरस्कृत कर्नाटक की छात्रा यक्ष गान पर नृत्य कर सभी को अभिभूत कर दिया।

कार्यक्रम के प्रारम्भ में आचार्य ज्ञान सागर जी महाराज का पाद प्रक्षालन कर श्रीफल भेंट किया गया। सुमति सागर जी महाराज के चित्र का अनावरण व ध्वजारोहण किया गया। सुबह आचार्य ज्ञान सागर महाराज ने विद्यार्थियों के साथ खुली चर्चा भी की। जिसमें बच्चों द्वारा पूछे गए सवालों के जवाब दिए। आहार चर्या में विद्यार्थियों ने विधि विधान के साथ आचार्य जी को भोजन कराया। विशिष्ठ अतिथि पद्मश्री अशोक चक्रधर ने गीतांजली की प्रथम पुस्तक ए फूल्स क्रिएशन का विमोचन करते हुए कहा कि विभिन्न कलाएं जब आपस में जुड़ती हैं तो प्रतिभाओं का विस्तार होता है। कहा कि जब अज्ञान को दूर हटाओगे तभी ज्ञान के सागर में डुबकी लगा पाओगे। कम अंक प्राप्त करने वाले बच्चों में बढ़ती आत्महत्या व डिप्रेशन के बढ़ते मामलों पर चिन्ता व्यक्त करने के साथ उन्हें अपनी कविता जो भी पथ में भटक गया है जो भी रस्ता भूल गया है, आओं प्यारे दौड़ के आओ मेरे अन्दर झूला है… के माध्यम से प्रोत्साहित भी किया।

अशोक चक्रधर ने बताया कि एमए में द्वितीय स्थान पाने पर वह डिप्रेशन में आ गए और आगरा विवि में सिल्वर मेडल लेने भी नहीं पहुंचे। प्रथम स्थान पाया था उनके मित्र उर्मिलेश शंखनाद ने। तभी अपने आत्मविश्वास को जगाते हुए 1972 में अपना नामकरण अशोक चक्रधर (अशोक शर्मा से) किया और सफलता की सीढ़ियां चढ़ते गए। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रवीन जैन व संचालन मनोज जैन ने किया। इस अवसर पर डिवीजनल रेलवे मैनेजर रंजन यादव, डीईआई एजुकेशनल संस्थान के निदेशक प्रेम कुमार कालरा, एडीजीपी एमपी पवन जैन, रूपेश कुमार जैन, मुकेश कुमार जैन, सुशील जैन, कमल कुमार जैन, विजय जैन, एमडी जैन इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य जीएल जैन, प्रदीप जैन, भोलानाथ जैन, चंदा बाबू जैन, जितेन्द्र जैन, राजकुमार जैन, अशोक जैन, राकेश जैन, जगदीश प्रसाद, अनन्त, गुड्डू जैन, अनिल शास्त्री, दिलीप जैन, मनोज जैन शैलेश जैन, राजेन्द्र, कमल आदि मौजूद थे।

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