अशाेेेक यादव, लखनऊ। केंद्रीय हिन्दी संस्थान अब डीम्ड यूनिवर्सिटी बनने से कुछ कदम ही दूर है। संस्थान को डीम्ड विश्वविद्यालय का दर्जा दिलाने के लिए तकरीबन तीन साल से कवायद हो रही है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने पहली बार मामले को गंभीरता से लिया है और औपचारिकाताओं को पूरा करने में तेजी दिखाई है।
देश-दुनिया में हिन्दी का प्रचार-प्रसार करने के लिए केंद्रीय हिन्दी संस्थान बीते 55 साल से अनवरत जुटा है। यहां से करीब पांच हजार विदेशी विद्यार्थी हिन्दी सीखकर अपने देश लौटे चुके हैं। संस्थान में जो कोर्स संचालित हैं, वे सर्टीफिकेट और डिप्लोमा स्तर के हैं।
खास बात यह भी है गैर कि गैर हिन्दी भाषी 16 राज्यों में केंद्रीय हिन्दी संस्थान से प्रवीण, पारंगत कोर्स किए विद्यार्थियों को राज्य सरकारें हिन्दी शिक्षक के तौर पर नियुक्त करने में प्राथमिकता देती हैं। संस्थान के मौजूदा आठ केंद्र भारत में हैं और दो केंद्र श्रीलंका में संचालित है। इसके साथ ही काबुल और मास्को में भी केंद्र खोले जाने का प्रस्ताव है।
केंद्रीय हिन्दी संस्थान में हर साल 200 विदेशी छात्र-छात्राओं को दाखिला दिया जाता है। इसमें से 100 विद्यार्थियों को आगरा मुख्यालय पर मुफ्त आवास, शिक्षा और छात्रवृत्ति के साथ दाखिला दिया जाता है।
केंद्रीय हिन्दी संस्थान को डीम्ड विश्वविद्यालय बनाने के संबंध में मानव संसाधन विकास मंत्रालय सभी औपचारिकाताएं तेजी से पूरी करने के मूड में है। निदेशक प्रो बीना शर्मा ने बताया कि मंत्रालय की ओर से संस्थान से रिपोर्ट मांगी गई है। यह इसी सप्ताह भेज दी जाएगी। उम्मीद है कि कैबिनेट में यह प्रस्ताव शीघ्र पारित हो जाएगा।