राखी बांधने का समय: सुबह 5 बजकर 59 मिनट से शाम 5 बजकर 25 मिनट तक (26 अगस्त 2018)
अपराह्न मुहूर्त: दोपहर 01 बजकर 39 मिनट से शाम 4 बजकर 12 मिनट तक (26 अगस्त 2018)
लखनऊ-नई दिल्ली: भारत में त्योहार सिर्फ खाने-पीने और मौज-मस्ती का नाम नहीं हैं, बल्कि यह एक दूसरे के प्रति प्यार, समर्पण और त्याग को भी दर्शाते हैं. ऐसा ही एक त्योहार है रक्षाबंधन (Raksha Bandhan), जो भाई-बहन के असीम प्यार का प्रतीक है. भाई-बहन साल भर इस त्योहार का इंतजार करते हैं. रक्षाबंधन के दिन बहनें अपने भाई की कलाई पर रक्षा सूत्र या राखी (Rakhi) बांधती हैं. वहीं, भाई अपनी बहनों को सामर्थ्य के अनुसार भेंट देकर उनकी रक्षा का वचन देते हैं. होली, दीपावली की तरह ही इस त्योहार को देश भर में परंपरऔर उत्साह के साथ मनाया जाता है.
रक्षाबंधन कब मनाया जाता है?
रक्षाबंधन हिन्दू कैलेंडर के अनुसार हर साल श्रावण या सावन महीने की पूर्णिमा को मनाया जाता है. इस बार रविवार के दिन 26 अगस्त को रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाएगा.रक्षाबंधन का महत्वहिन्दू धर्म में रक्षाबंधन का विशेष महत्व है. पुरातन काल से इस पर्व को मनाया जा रहा है. यह हिन्दुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक है. यह ऐसा पर्व है जिसमें संवेदनाएं और भावनाएं कूट-कूट कर भरी हुईं हैं. यह इस पर्व की महिमा ही है जो भाई-बहन को हमेशा-हमेशा के लिए स्नेह के धागे से बांध लेती है. रक्षाबंधन भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक है. देश के कई हिस्सों में रक्षाबंधन को अलग-अलग तरीके से भी मनाया जाता है. महाराष्ट्र में सावन पूर्णिमा के दिन जल दवता वरुण की पूजा की जाती है. रक्षाबंधन को सलोनो नाम से भी जाना जाता है. मान्यता है कि इस दिन पवित्र नदी में स्नान करने के बाद सूर्य को अर्घ्य देने से सभी पापों का नाश हो जाता है. इस दिन पंडित और ब्राह्मण पुरानी जनेऊ का त्याग कर नई जनेऊ पहनते हैं. राखी बांधने का शुभ मुहूर्त
मान्यताओं के अनुसार रक्षाबंधन के दिन अपराह्न यानी कि दोपहर में राखी बांधनी चाहिए. अगर अपराह्न का समय उपलब्ध न हो तो प्रदोष काल में राखी बांधना उचित रहता है. भद्र काल के दौरान राखी बांधना अशुभ माना जाता है
पुराण की कथा के अनुसार इस पर्व को क्यों मनाते है :
द्रौपदी और श्रीकृष्ण की कथा: महाभारत काल में कृष्ण और द्रौपदी का एक वृत्तांत मिलता है. जब कृष्ण ने सुदर्शन चक्र से शिशुपाल का वध किया तब उनकी तर्जनी में चोट आ गई. द्रौपदी ने उस समय अपनी साड़ी फाड़कर उसे उनकी अंगुली पर पट्टी की तरह बांध दिया. यह श्रावण मास की पूर्णिमा का दिन था. श्रीकृष्ण ने बाद में द्रौपदी के चीर-हरण के समय उनकी लाज बचाकर भाई का धर्म निभाया था.
कई ऐतिहासिक कारण भी हैं रक्षाबंधन मनाए जाने के पीछे:
बादशाह हुमायूं और कमर्वती की कथा: मुगल काल में बादशाह हुमायूं चितौड़ पर आक्रमण करने के लिए आगे बढ़ रहा था. ऐसे में राणा सांगा की विधवा कर्मवती ने हुमायूं को राखी भेजकर रक्षा वचन ले लिया. फिर क्या था हुमायूं ने चितौड़ पर आक्रमण नहीं किया. यही नहीं आगे चलकर उसी राख की खातिर हुमायूं ने चितौड़ की रक्षा के लिए बहादुरशाह के विरूद्ध लड़ते हुए कर्मवती और उसके राज्य की रक्षा की.