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अवनी लेखरा को तीन करोड़ रुपये का पुरस्कार देगी राजस्थान सरकार

जयपुर। टोक्यों पैरालम्पिक में राजस्थान की अवनी लेखरा के निशानेबाजी में स्वर्ण एवं प्रदेश के ही देवेन्द्र झाझरिया के जैवलिन थ्रो में रजत पदक तथा सुंदर सिंह गुर्जर के कांस्य पदक जीतने पर प्रदेश में खुशी की लहर दौड़ गई है। इन तीनों खिलाड़ियों की जीत से उत्साहित राजस्थान सरकार ने अवनी को तीन करोड़, देवेन्द्र झाझरिया को दो करोड़ एवं सुंदर सिंह को एक करोड़ रुपए का पुरस्कार देने की घोषणा की है।

तीनों खिलाड़ियों के पदक जीतने पर जहां राज्यपाल कलराज मिश्र, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रदेश अध्यक्ष डा सतीश पूनियां एवं कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा सहित कई नेताओं एवं अन्य लोगों ने हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं दी वहीं अवनी लेखड़ा के जयपुर में शास्त्री नगर स्थित उनके घर पर परिजनों एवं मिलने वाले लोगों ने नाच गाकर जीत का जश्न मनाया और मिठाई बांटी गई।

इसी तरह झाझरिया के चूरू जिले के सादुलपुर गांव में उनकी जीत पर खुशी का माहौल है और गांव के लोगोन ने उनके परिवार के लोगों के साथ आतिशबाजी कर जश्न मनाया और मिठाई बांटकर खुशी जताई। इस अवसर पर महिलाओं ने मंगल गीत गाकर खुशी मनाई। इसी प्रकार कांस्य पदक जीतने वाले सुंदर सिंह गुर्जर के करौली जिले में स्थित देवलेन गांव में भी जश्न और खुशी का माहौल है।

उनके गांव में ग्रामीण सुबह से ही टीवी के सामने बैठ गए और टीवी पर सुंदर गुर्जर का प्रदर्शन देखने के साथ ही ग्रामीण और परिजन पैरालंपिक में सफलता के लिए भजन, पूजा-पाठ कीर्तन करते रहे। जब सुंदर ने पदक जीत लिया तो सभी खुशी से नाच उठे और मिठाई बांटकर खुशी जताई और जीत का जश्न मनाया। प्रदेश में लोग इनकी जीत पर एक दूसरे को बधाई दे रहे हैं। तीनों विजेताओं के घर पर बधाई देने वालों का तांता लग गया।

इस अवसर पर अवनी के परिवार का कहना है कि अवनी हिम्मत और लगातार मेहनत करके आज इस मुकाम पर पहुंची हैं और उसकी मेहनत का ही परिणाम है कि उसने पदक जीतकर दुनिया में देश का नाम रोशन किया है। परिजनों ने बताया कि अवनी की पढ़ाई करने में काफी रुचि थी और वह न्यायाधीश बनना चाहती थी। तीन बार ओलिंपिक में पदक जीतने वाले देवेंद्र झाझरिया के परिजनों का कहना है कि देवेन्द्र भी काफी मेहनती हैं और जब तक सफलता हाथ नहीं लग जाती रुकते नहीं हैं और उन्होंने वैश्विक महामारी कोरोना में भी अपनी तैयारी जारी रखी और टोक्यो पैरालम्पिक में पदक हासिल कर लिया।

देवेन्द्र ने टोक्यो पैरालिंपिक जाने से पहले पत्नी मंजू से पदक लाने का वादा किया था और उस पर वह खरा उतरे। कांस्य पदक जीतने वाले सुंदर सिंह गुर्जर की शुरु से ही खेलों में रुचि थी और उनके घर वालों ने आर्थिक तंगी होने के बावजूद भी उसे प्रशिक्षण दिलवाया और उन्होंने कभी हिम्मत नहीं हारी और आज पदक लाकर देश एवं प्रदेश का नाम रोशन कर दिया।

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