नई दिल्ली : बवाना विधानसभा उपचुनाव में आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी रामचंद्र ने करीब 24052 मतों से जीत दर्ज की। भाजपा और कांग्रेस के प्रत्याशी जीत हासिल नहीं करव पाए। रामचंद्र की ये जीत मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के लिए बहुत जरूरी थी क्योंकि जिस तरह नगर निगम चुनाव समेत विभिन्न राज्यों पंजाब, गोवा आदि में हार का मुंह का पार्टी को देखना पड़ा था उस लिहाज से एक अदद जीत की पार्टी को तलाश थी। अरविंद केजरीवाल के लिए ये जीत किसी ऑक्सीजन से कम नहीं है। इस चुनाव में कांग्रेस ने सुरेन्द्र कुमार और भाजपा ने वेदप्रकाश को मैदान में उतारा था। इस जीत के साथ अरविंद केजरीवाल ने 2020 के दिल्ली विधानसभा चुनाव को लेकर जनता को संदेश द दिया है।
लगातार पांच हारों के बाद अगर आम आदमी पार्टी इस चुनाव में भी जीत दर्ज नहीं कर पाती, तो उसके लिए दिल्ली में ही खतरा पैदा हो जाता। लेकिन अंत भला सो सब भला की तर्ज पर यह कहा जा सकता है कि यह जीत आप के लिए किसी संजीवनी से कम नहीं है। इस हार पर भाजपा प्रदेशाध्यक्ष मनोज तिवारी का कहना है कि वे हार की जिम्मेवारी लेते हैं और हार के कारणों की समीक्षा की जाएगी। उन्होंने आम आदमी पार्टी की जीत पर बधाई दी है। तीन माह के दौरान अरविंद केजरीवाल के बयानों में काफी बदलाव देखने को मिला था। सिर्फ 3 माह की ही बात करें तो इन दिनों में अरविंद केजरीवाल की तरफ से कोई भी अटपटा बयान जारी नहीं किया गया। इस कारण पार्टी की किरकिरी भी नहीं हुई। साथ ही एक मानहानि मामले में केजरीवाल ने जैसे माफी मांगी है उससे लगने लगा था कि एक परिपक्व राजनीति की भूमिका में अरविंद आगे बढ़ चुके हैं।
दिल्ली के बवाना उपचुनाव में शुरुआत में मुकाबला बेहद दिलचस्प रहा। वोटों की गिनती के शुरुआती दौर में कांग्रेस सबसे आगे, बीजेपी नंबर दो तो आम आदमी पार्टी तीसरे नंबर पर चल रही थी। 11वें राउंड के बाद पूरा सीन बदलने लगा। आम आदमी पार्टी के विधायक वेद प्रकाश के इस्तीफा देने के बाद उपचुनाव हुए थे। वेद प्रकाश उपचुनाव में बीजेपी के टिकट पर मैदान में थे।