नई दिल्ली: अयोध्या में राम मंदिर और बाबरी मस्जिद के विवाद के केस की सुनवाई गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट की नई संविधान पीठ ने सुनवाई की. सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने गुरुवार की सुनवाई 29 जनवरी तक टाल दी है. इसके साथ ही बेंच में शामिल जस्टिस यूयू ललित पर मुस्लिम पक्षकार के वकील ने एतराज जताया था. जिसके बाद जस्टिस ललित ने खुद को केस से अलग कर लिया. इसके बाद सीजेआई रंजन गोगोई ने कहा कि मामले की सुनवाई के लिए नई बेंच का गठन किया जाएगा.
अभी संविधान पीठ में चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस एनवी रमना, जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ थे. सुनवाई करने वाली बेंच में चीफ जस्टिस के अलावा वे चार जज हैं जो भविष्य में चीफ जस्टिस बनेंगे. इसमें कोई मुस्लिम जज नहीं है. मुस्लिम पक्षकार के वकील ने जस्टिस ललित पर सवाल उठाए हैं. इसके बाद सीजेआई ने कहा कि इस मामले की सुनवाई के लिए नई बेंच बनेगी. जस्टिस ललित ने खुद को केस से अलग कर लिया. अयोध्या मामले की सुनवाई के लिए नवगठित संविधान पीठ अभूतपूर्व बेंच मानी जाएगी. ये चीफ जस्टिस रंजन गोगोई का अप्रत्याशित कदम है. उनका पांच जजों की संविधान पीठ का प्रशासनिक आदेश तीन जजों के न्यायिक आदेश के विपरीत है जिसमें मामले को पांच जजों को भेजने से इनकार कर दिया गया था.
अब यह तय हो सकता है कि अयोध्या मामले की सुनवाई किस तारीख से होगी. यह भी तय होगा कि क्या इस मामले की रोजाना सुनवाई होगी? आम तौर पर संविधान पीठ किसी मुद्दे पर बैठती है तो वह उसी मामले की सुनवाई करती है. ऐसी सुनवाई हफ्ते के मंगलवार, बुधवार और शुक्रवार को होती है. खास बात ये है कि 27 सितंबर 2018 को तीन जजों की पीठ ने इस मांग को ठुकरा दिया था कि इस्माइल फारूखी के 1994 के उस जजमेंट पर फिर से विचार करने के लिए उसे संविधान पीठ के पास भेजा जाए जिसमें कहा गया था कि मस्जिद में नमाज पढ़ना इस्लाम का अभिन्न हिस्सा नहीं है. इसके बाद तीन जजों की पीठ को मामले की सुनवाई करनी थी. इसके बाद अब पांच जजों की संविधान पीठ का गठन किया गया.