अशाेक यादव, लखनऊ। राजधानी का चौधरी चरण सिंह अमौसी इंटरनेशनल एयरपोर्ट आगामी 1 नवंबर से अडानी ग्रुप का हो जायेगा। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में स्थित इस एयरपोर्ट का नाम भी बदला जाएगा लखनऊ एयरपोर्ट का नाम अब अडानी लखनऊ इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड होगा।
अडानी ग्रुप अगले 50 वर्षों के लिए लखनऊ अन्तर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट को अपने निजी हाथों में लेगा।
यात्री सुविधाओं के साथ कमर्शियल गतिविधियों के विकास की का जिम्मा अडानी ग्रुप का ही होगा।
वहीं एयर ट्रैफिक कंट्रोलर पहले की तरह एटीसी और सुरक्षा का जिम्मा केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआइएसएफ) पर ही होगा।
प्रत्येक वर्ष लखनऊ एयरपोर्ट से 60 लाख घरेलू और इंटरनेशनल यात्री सफर करते हैं।
55 घरेलू उड़ानें लखनऊ से प्रति दिन भरी जाती हैं।
यह एयरपोर्ट इस नजरियें से भी महत्वपूर्ण माना जाता है कि दिल्ली एयरपोर्ट पर किसी प्रकार की दिक्कत आने अपर लखनऊ में विमानों की आपातकालीन लैंडिंग कराई जाती है।
बलिया कांड में पुलिस को बड़ी सफलता, हत्याकांड में इस्तेमाल असलहा बरामद
गौरतलब है कि लखनऊ एयरपोर्ट के लिए 6 कंपनियों ने बोली लगाई थी ।
प्रति यात्री शुल्क के आधार पर अडानी ग्रुप ने 171 और एएमपी कैपिटल ने 139 रुपये की बोली लगाई थी ।
यह अहमदाबाद के 177 रुपये प्रति यात्री के बाद किसी एयरपोर्ट के लिए अडानी ग्रुप की सबसे बड़ी बोली थी ।
यही वजह है कि अडानी ग्रुप को ही लखनऊ एयरपोर्ट मिला।
लखनऊ एयरपोर्ट के पूर्व निदेशक रहे एससी होता अब अडानी लखनऊ इंटरनेशनल एयरपोर्ट लि.(एएलआइएएल) के सीईओ पद की कमान संभाली है।
इंटरनेशनल टर्मिनल भवन में पुराना निदेशक ऑफिस ही एएलआइएएल का मुख्यालय होगा।
भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण के 300 स्टाफ लखनऊ एयरपोर्ट पर तैनात रहेंगे।
जबकि कामर्शियल के कर्मचारी दो साल अडानी ग्रुप के साथ काम करेंगे।
चौधरी चरण सिंह अमौसी इंटरनेशनल लखनऊ एयरपोर्ट उद्योगपतियों और सरकार के इस्तेमाल के लिए सन 1986 में बना था।
हालांकि इस एयरपोर्ट को 17 जुलाई 2008 को यात्रियों के लिए विकसित किया गया।
मई 2012 में लखनऊ एयरपोर्ट को अंतरराष्ट्रीय दर्जा दिया गया।
दो जून 2012 से नया थ्री टियर का 2 हजार यात्रियों की क्षमता वाला घरेलू टर्मिनल का भी संचालन शुरु हो गया है।