लखनऊ / अमृतसर: अमृतसर ट्रेन दुर्घटना को लेकर स्थानीय लोगों ने ट्रेन ड्राइवर के उस बयान का विरोध किया है, जिसमें उसने कहा था कि घटनास्थल पर मौजूद लोगों ने ट्रेन पर पत्थर फेंकना शुरू कर दिया था. बता दें कि पुलिस और रेलवे अधिकारियों को दिये एक बयान में ट्रेन के चालक ने कहा कि उसने ट्रेन नहीं रोकी क्योंकि दुर्घटनास्थल पर भीड़ ने पत्थर फेंकना शुरू कर दिया था. 19 अक्टूबर को रावण का पुतला दहन देखने के दौरान एक ट्रेन की चपेट में आने से 62 लोगों की मौत हो गई थी.
अमृतसर में वार्ड नंबर 46 के पार्षद शैलेन्द्र सिंह शली ने बताया, ‘‘मैं घटनास्थल पर था. ट्रेन रोकने की बात तो छोड़ दीजिये यह धीमा भी नहीं हुआ. ऐसा लगा कि अगर चालक चाहता तो हमें भी कुचल देता. ट्रेन कुछ सकेंड में हमारे पास से गुजर गयी.” उन्होंने कहा, ‘‘क्या ऐसे में हमारे लिए तार्किक रूप से ट्रेन पर पत्थर फेंकना संभव है जब हमारे आसापास मृत और घायल लोग पड़े हों? क्या ऐसी घटना के बाद हमारे लिए ऐसा आचरण कर पाना और तेज रफ्तार में जा रही एक ट्रेन पर पत्थर फेंकना संभव है? चालक झूठ बोल रहा है.’ पंजाब के मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू ने भी भारतीय रेलवे पर निशाना साधते हुए उसके कामकाज पर कई सवाल उठाये और पूछा कि कैसे ट्रेन के लोको पायलट को ‘क्लीन चिट’ दी जा रही है. यहां शुक्रवार की शाम रावण दहन देखने के लिए कम से कम 300 लोग रेल की पटरी पर एकत्र हो गए थे. तभी तेज रफ्तार रेलगाड़ी लोगों को रौंदते हुए निकल गई. इस घटना में 62 लोगों की मौत हो गई और बड़ी संख्या में लोग घायल हो गए. जोड़ा फाटक पर हुए इस कार्यक्रम की मुख्य अतिथि सिद्धू की पत्नी नवजोत कौर सिद्धू थी. घटना के संबंध में रेल राज्य मंत्री मनोज सिन्हा ने कहा था कि रेलवे की तरफ से कोई लापरवाही नहीं हुई है. सिन्हा के इस बयान पर सिद्धू का बयान आया है.
रेलवे ने कहा है कि रेलवे पटरी के निकट आयोजित हुए दशहरा कार्यक्रम के आयोजकों और स्थानीय प्रशासन ने उन्हें सूचित नहीं किया था. सिद्धू ने यह भी पूछा, ‘‘आपने कौन से आयोग का गठन किया था कि आपने एक दिन में उसे (लोको-पायलट) क्लीन चिट दे दी. क्या चालक स्थाई था या वह एक दिन के लिए काम में लगा हुआ था. आप क्यों नहीं कहते हो?” उन्होंने दावा किया, ‘‘जब आप गाय के लिए (ट्रेन) रोकते हैं, कोई ट्रैक पर बैठे पाया गया तो उसके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की जाती है. आप लोगों को रौंदते हुए निकल जाते हो और आप नहीं रुके. ट्रेन की गति क्या थी? यह 100 किलोमीटर प्रति घंटे से अधिक थी…सनसनाते हुए निकल गयी.”
अमृतसर ट्रेन दुर्घटना को लेकर स्थानीय लोगों ने कहा – आसापास मृत और घायल पड़े हों , तब क्या ट्रेन पर पत्थर फेंकना संभव ?
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