नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने NRC को लेकर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि असम की तरह ही अगर जरूरत पड़ी तो इसे उत्तर प्रदेश में भी लागू किया जाएगा. इसे असम में लागू करना एक महत्वपूर्ण और साहसिक कदम था. एक इंटरव्यू में सीएम योगी ने कहा कि NRC को लेकर कोर्ट के ऑर्डर को लागू करना एक बड़ा साहसिक कदम था. मैं मानता हूं कि इसके लिए हमें पीएम मोदी और गृहमंत्री अमित शाह को बधाई देनी चाहिए. NRC को चरणबद्ध तरीके से लागू करना जरूरी है. और मुझे लगता है कि उत्तर प्रदेश में जब इसकी जरूरत होगी तब इसे लागू किया जाएगा. बता दें कि इससे पहले हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर ने भी NRC को लेकर बयान दिया था.
हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने रविवार को घोषणा की थी कि उनके राज्य में भी राष्ट्रीय नागरिक पंजी (NRC) लागू की जाएगी. खट्टर ने पंचकूला में न्यायमूर्ति (सेवानिवृत) एच एस भल्ला और पूर्व नौसेना प्रमुख सुनील लांबा से उनके आवासों पर मुलाकात करने के बाद संवाददाताओं से कहा था कि हम हरियाणा में एनआरसी लागू करेंगे.’ खट्टर ने अक्टूबर में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले अपनी पार्टी के ‘महासंपर्क अभियान’ के तहत इन दोनों से मुलाकात की. उन्होंने देश भर में एनआरसी को लागू करने का पहले भी समर्थन किया था. उच्च न्यायालय के सेवानिवृत न्यायाधीश भल्ला से मिलने के बाद उन्होंने संवाददाताओं से बातचीत में कहा था कि मैं महासंपर्क अभियान के तहत उनसे मिला. इस अभियान के तहत हम महत्वपूर्ण नागरिकों से मुलाकात करते हैं.’ उन्होंने सेवानिवृत न्यायाधीश न्यायमूर्ति भल्ला के बारे में कहा था कि वह एनआरसी पर भी काम कर रहे हैं और शीघ्र ही असम जायेंगे.
मैंने कहा कि हम हरियाणा में एनआरसी लागू करेंगे और हमने भल्लाजी का समर्थन और उनके सुझाव मांगे.’ गौरतलब है कि पिछले महीने ही असम में राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर यानी एनआरसी की अंतिम लिस्ट गृह मंत्रालय ने जारी कर दी थी.इस लिस्ट में 19 लाख 6,657 लोगों के नाम नहीं हैं जबकि इस लिस्ट में अब 3 करोड़ 11 लाख 21 हजार लोगों के नाम हैं. पिछले साल आई एनआरसी की ड्राफ़्ट सूची में क़रीब 40 लाख लोगों के नाम नहीं थे.जिसके बाद एक कमेटी बनाई गई और आज फ़ाइनल लिस्ट आज जारी की गई. इस नई लिस्ट में ड्राफ़्ट सूची से बाहर किए गए क़रीब 21 लाख लोगों के नाम जोड़ दिए गए थे. इस लिस्ट में जिनका नाम है वही देश के नागरिक माने जाएंगे और जिनका नाम नहीं होगा वो विदेशी माने जाएंगे. हालांकि मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने कहा था कि जिन लोगों के नाम इस लिस्ट में नहीं हैं उन्हें परेशान होने की ज़रूरत नहीं है वे फॉरेन ट्रिब्युनल कोर्ट में अपील कर सकते हैं. आपको बता दें कि असम में एनआरसी लिस्ट सबसे पहले 1951 को जारी की गई थी.