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अब श्रद्धांजलि और नाकामी छुपाने की राजनीति , जबकि : मैं पिछले तीन साल से कहता आ रहा हूं कि अगवा सभी 39 भारतीयों को आईएस आतंकी मार चुके हैं : हरजीत मसीह

नई दिल्ली : विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने भले ही इराक के मोसुल शहर में 39 भारतीयों की मौत की बात आज (20 मार्च, 2018 को) संसद में कबूल की हो लेकिन एक शख्स ऐसा है जो पिछले करीब तीन साल से कहता आ रहा है कि अगवा 40 भारतीयों में से 39 की मौत हो चुकी है। पंजाब के गुरुदासपुर के अफगान कला के निवासी हरजीत मसीह उन चालीस भारतीयों में शामिल थे जिन्हें आईएसआईएस के आतंकियों ने जून 2014 में अगवा कर लिया था और बंधक बना कर रखा था। हरजीत वहां से किसी तरह से भागने में कामयाब रहे, जबकि बाकी 39 लोगों को आईएस के आतंकियों ने गोलियों से भून डाला था। सुषमा स्वराज ने राज्य सभा में बताया कि 38 भारतीयों का डीएनए मैच हो चुका है जबकि एक शख्स का डीएनए 70 फीसदी मैच हुआ है।हरजीत मसीह ने कहा, “मैं पिछले तीन साल से कहता आ रहा हूं कि अगवा सभी 39 भारतीयों को आईएस आतंकी मार चुके हैं।” मसीह ने कहा कि वो सच बात कहते रहे हैं लेकिन किसी को भरोसा नहीं हो रहा था। मसीह ने उस दिन के बारे में बताया जब आतंकियों ने सभी को गोलियों से भून डाला था। मसीह ने कहा कि सभी 40 भारतीय उस समय इराक की एक फैक्ट्री में काम कर रहे थे। तभी आईएस के आतंकियों ने उन्हें अगवा कर लिया और कुछ दिनों तक बंधक बना कर रखा। एक दिन आतंकियों ने सभी को घुटने के बल लाइन से बैठा दिया और सभी पर ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू कर दी। मसीह ने कहा, “मैं भाग्यशाली रहा कि मैं बच गया। आतंकियों की गोली मेरी जांघ में लगी थी, इसमें वहां मैं बेहोश हो गया था।”

हरजीत मसीह ने कहा कि जब आतंकी सभी को मौत की नींद सुला वहां से चले गए तो बाद में किसी तरह से वह भारत वापस आने में कामयाब रहा और तब से यानी करीब तीन साल से वह लगातार कह रहे हैं कि सभी अगवा भारतीयों की मौत हो चुकी है। बता दें कि ये सभी 39 भारतीय नौकरी करने इराक गए थे और जून 2014 से लापता थे। इनमें से अधिकांश पंजाब के अमृतसर, गुरदासपुर, होशियारपुर, कपूरथला और जालंधर के रहने वाले थे।

सुषमा स्वराज ने मंगलवार को संसद में कहा कि भारत सरकार पिछले तीन सालों से 39 लापता भारतीयों को खोज रही थी। इस पूरे मिशन में इराक सरकार ने भारत की बहुत मदद की। उन्होंने कहा, “जनरल वीके सिंह इराक में 39 भारतीयों को खोजन के मिशन में गए थे। उनके साथ भारतीय राजदूत और इराक का एक अधिकारी भी था। तीनों बदूश के लिए निकले क्योंकि हमें जानकारी थी कि बदूश में ये भारतीय हैं। जब वहां ये लोग भारतीयों को खोज रहे थे, तभी एक व्यक्ति ने जानकारी दी कि एक माउंट है, जहां कुछ लोगों को एक साथ दफनाया गया है। जब माउंट पर गए, तब वहां ऊपर से कुछ नहीं दिखा। तब इराक के अधिकारियों से डीप पेनिट्रेशन रडार मांगा गया, जिसकी मदद से नीचे तक देखा गया। तब पता लगा कि नीचे शव हैं। इराक सरकार से परमिशन लेकर उसे खोदा गया और शव बाहर निकाले गए। उन शवों में लंबे बाल, कड़ा, जूते और ऐसे आईडी कार्ड मिले जो इराक के नहीं लगते थे। सबसे आश्चर्य की बात यह रही कि माउंट के अंदर से कुल 39 शव ही निकले।”

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