लखनऊ: अखिलेश राज के रिवर फ्रंट घोटाले और अवैध खनन घोटाले के मामले में तेजी लाने के बाद अब मायावती से जुड़े घोटाले के मामलों में भी प्रवर्तन निदेशालय की जांच में तेजी आ गई है। प्रवर्तन निदेशालय ने मायावती राज में बने स्मारकों में हुए घोटाले से संबंधित ठेकेदारों और अधिकारियों को नोटिस भेज कर पूछताछ के लिए बुलाया है। प्रवर्तन निदेशालय ने जनवरी माह में स्मारक घोटाले से जुड़े अधिकारियों व ठेकेदारों के यहां छापेमारी की थी और कई अहम दस्तावेज बरामद किए थे। स्मारक घोटाले की जांच फिलहाल सतर्कता अधिष्ठान कर रहा है। स्मारकों के निर्माण में 111 करोड़ रुपये के घोटाले का आरोप है। वर्ष 2014 में विजलेंस ने 2014 में गोमतीनगर थाने में एफआईआर दर्ज कराई थी। इसी आधार पर प्रवर्तन निदेशालय ने भी अपने यहां मनी लांड्रिंग एक्ट के तहत केस दर्ज किया था। वर्ष 2007 से 2012 के कार्यकाल के दौरान करोड़ों रुपये खर्च कर राजधानी लखनऊ में और नोएडा में स्मारक बनाए गए थे। इन स्मारकों में लगभग 2600 करोड़ रुपये की लागत से स्मारक, पार्क और मूर्तिंयां बनवाई गई थीं। इन पार्कों में डॉ. भीम राव आंबेडकर, कांशीराम और मायावती की मूर्तियां लगी हैं।
आरोप है कि इस स्मारक के निर्माण में बरती गई अनियमितता से सरकारी खजाने को 111.44 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ और लोकसेवकों व निजी व्यक्तियों को अवैध फायदा हुआ। मामले में 19 लोगों को आरोपी बनाया है। इसमें बसपा सरकार में मंत्री रहे नसीमुद्दीन सिद्दीकी, बाबू सिंह कुशवाहा, खनन विभाग के भूतपूर्व संयुक्त निदेशक व सलाहकार सुहैल अहमद फारूकी, निर्माण निगम के पूर्व एमडी सीपी सिंह व निर्माण निगम के 15 अन्य इंजीनियर भी नामजद हैं। ईडी ने करीब दो साल पहले केस दर्ज करने के बाद ठेकेदारों, सप्लायर और अधिकारियों व इंजीनियरों को पूछताछ के लिए समन भेजता रहा, लेकिन किसी ने कोई जवाब नहीं दिया। अब ईडी ने नए सिरे से नोटिस भेजा है।