घुटने की परेशानी के कारण छह महीने तक टेनिस कोर्ट से दूर रहे देश के शीर्ष युगल खिलाड़ी रोहन बोपन्ना अब एक समय में केवल एक ही टूर्नामेंट पर अपना ध्यान लगाएंगे। 39वें स्थान पर मौजूद बोपन्ना और 63वें स्थान पर मौजूद दिविज शरण एकमात्र भारतीय खिलाड़ी हैं जो वर्तमान में युगल में शीर्ष 100 में जगह बनाये हुए हैं।
महामारी के दौर में भी सर्वश्रेष्ठ टेनिस खिलाड़ी रोहन बोपन्ना शांत नहीं बैठे। एटीपी का नया सीज़न मंगलवार पांच जनवरी को खत्म हो गया है और डेलरे बीच, यूएसए और अंताल्या, तुर्की में आयोजनों के साथ पुरुषों की शीर्ष संस्था एटीपी ने केवल पहली तिमाही के लिए कैलेंडर जारी किया है।
इसका मतलब है कि खिलाड़ी जुलाई में टोक्यो ओलंपिक तक होने वाले आयोजनों की योजना नहीं बना सकते है, लेकिन दो दशक के पेशेवर अनुभव वाले 40 वर्षीय बोपन्ना नींद लेकर अपना समय खराब नहीं करना चाहते। कुर्ग के 40 वर्षीय खिलाड़ी ने ओलंपिक चैनल से कहा, “मैं इसे ओलंपिक वर्ष के रूप में नहीं देख रहा हूं क्योंकि हम यह भी नहीं जानते हैं कि ऐसा होने वाला है या नहीं। अभी यह वक्त हमारी व्यक्तिगत रैंकिंग पर ध्यान केंद्रित करने का है। यह क्वालीफाई करने का एकमात्र तरीका है।”
बोपन्ना 39वें और दिविज शरण 63वें स्थान पर रहने वाले एकमात्र भारतीय खिलाड़ी हैं जो वर्तमान में युगल में शीर्ष 100 में शामिल है। उनके लिए संयुक्त रैंकिंग के साथ एक टीम के रूप में ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करना बाकी है, लेकिन उनके पास सात जुलाई, 2021 तक टोक्यो के लिए एक स्थान पक्का करने का मौका है।
आईटीएफ के नियमों के अनुसार शीर्ष 10 युगल खिलाड़ी 32-टीम इवेंट के लिए अपने आप क्वालीफाई कर लेंगे और उनके पास साथी का विकल्प भी होगा (300 से नीचे रैंक नहीं हो)। मेजबान के लिए एक टीम का स्थान आरक्षित होने के साथ, बाकी टीमों के पास प्रतिस्पर्धा करने के लिए 21 स्थान निर्धारित है।
बोपन्ना 31 जनवरी से शुरू होने वाले ऑस्ट्रेलियन ओपन इवेंट्स में से मेलबोर्न में अपने 2021 के अभियान की शुरुआत करेंगे। वह मेलबोर्न मेजर सहित साल के पहले दो इवेंट के लिए पुर्तगाल के जोआओ सोसा के साथ खेलेंगे। महामारी ने न केवल जनजीवन को प्रभावित किया बल्कि आजीविका को भी बाधित किया, लेकिन बोपन्ना उन भाग्यशाली लोगों में से एक थे जिन्होंने समय का सदुपयोग किया और फिटनेस पर ध्यान केंद्रित किया।
टेनिस टूर पर विशेष रूप से हार्ड कोर्ट पर उन्होंने अपने घुटनों को काफी थकाया। इससे उनके लिए दर्द को भुलाकर खेलना मुश्किल हो गया। छह महीने तक टेनिस से दूरी बनाने के बाद उन्होंने इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए अयंगर योग का सहारा लिया।
उन्होंने, “मेरे घुटने की हड्डियों में लचीलापन पूरी तरह खत्म हो गया। इस कारण मेरी हड्डियां आपस में रगड़ खाती हैं। यह बेहद दर्दनाक होता है। मैंने ऐसे दिन भी देखे जब मैं जागने के बावजूद भी कोर्ट में नहीं जाना चाहता था।”
बोपन्ना ने कहा, “महामारी के दौरान मैंने तीन महीने के लिए सप्ताह में चार बार अयंगर योग करना शुरू किया। इसने घुटने के आसपास की मांसपेशियों को मजबूत करने और जोड़ों के भार झेलने की क्षमता को बढ़ाने में मदद की। इसने मेरी दशा को सुधारने में भी मदद की है।”