नई दिल्ली: भारत के पूर्व रक्षामंत्री जॉर्ज फर्नांडीज का 89 साल की उम्र में सोमवार सुबह छह बजे निधन हो गया. वह काफी लंबे समय से अल्जाइमर रोग से पीड़ित थे और वे अभी बिस्तर पर ही रहते थे. उन्होंने दिल्ली के एक अस्पताल में आखिरी सांस ली. फर्नांडीज का बेटा विदेश में रहता है, उनके वापस आने के बाद उनका संस्कार किया जाएगा. फर्नांडीस का जन्म 3 जून 1930 को मैंगलोर में हुआ था. वे अटल सरकार में अक्टूबर 2001 से मई 2004 तक रक्षामंत्री रहे. आखिरी बार वह अगस्त 2009 से जुलाई 2010 तक राज्यसभा के सांसद रहे थे. फर्नांडीज सबसे पहले साल 1967 में लोकसभा सांसद चुने गए थे. रक्षामंत्री के अलावा उन्होंने कम्यूनिकेश, इंडस्ट्री और रेलवे मंत्रालयों की भी कमान संभाली है. पीएम मोदी ने उनके निधन पर दुख जताते हुए कहा, ‘जॉर्ज साहब ने भारत के राजनीतिक नेतृत्व का सर्वश्रेष्ठ प्रतिनिधित्व किया.
वे स्पष्टवादी और निडर, बेबाक और दूरदर्शी थे, उन्होंने हमारे देश के लिए अहम योगदान दिया है. वह गरीबों और हाशिए पर रहे लोगों के अधिकारों के लिए सबसे प्रभावी आवाज़ों में से एक थे. उनके निधन की खबर सुनकर दुख हुआ. राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने उनके निधन पर कहा, ‘पूर्व रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नांडीज के निधन पर हार्दिक संवेदना. मेरे विचार और प्रार्थना उनके परिवार के साथ है. भगवान उनकी आत्मा को शांति दें.’ जॉर्ज 1970 में समाजवादी आंदोलन के बड़े नेता थे. समता पार्टी बनाने से पहले जनता दल के वरिष्ठ नेताओं में उनकी गिनती होती थी.
1930 में जन्में जॉर्ज ने रोमन कैथोलिक पादरी की ट्रेनिंग ली थी, तभी वे यूनियन पॉलिटिक्स की तरफ मुड़ गए. 1967 में उन्होंने मुंबई से कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता को हराकर संसद पहुंचे थे. उन्होंने 1974 में देशभर में रेलवे हड़ताल भी करवाई थी.1975 में इंदिरा गांधी की ओर से लगाए गए आपातकाल के दौरान उन्हें जेल में डाल दिया गया था. 1977 में उन्होंने जेल से ही चुनाव लड़ा था और बिहार के मुजफ्फरपुर से भारी मतों से जीत हासिल की. जॉर्ज फर्नांडीज आपातकाल के हीरो बन गए थे, जब 1977 में मोरारजी देसाई के नेतृत्व में जनता पार्टी की सरकार बनी तो उन्हें मंत्री बनाया गया.