नई दिल्ली: भाजपा की दमदार नेता और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज द्वारा अगला लोकसभा चुनाव नहीं लड़ने के ऐलान को लेकर जहां राजनीतिक गलियारे में अटकलें तेज हो गई हैं वहीं उनकी पति स्वराज कौशल पत्नी के फैसले की सराहना की और इस पर खुशी जताई है। स्वराज कौशल ने सुषमा के ऐलान के बाद एक साथ कई ट्वीट किए। उन्होंने लिखा, अब और चुनाव नहीं लड़ने के आपके फैसले के लिए धन्यवाद।
स्वराज ने ट्वीट कि मुझे याद है एक समय मिल्खा सिंह को भी रुकना पड़ा था। यह दौड़ 1977 से शुरू हुई थी और इसे अब 41 साल हो गए हैं। अब तक आप 11 चुनाव लड़ चुकी हैं और सिर्फ दो बार 1991 और 2004 में आपने चुनाव नहीं लड़ा, क्योंकि पार्टी ने आपको चुनावी मैदान में नहीं उतरने दिया। मैं पिछले 46 सालों से आपके पीछे भाग रहा हूं, अब मैं 19 साल का नहीं हूं।
अब तो मुझे सांस भी चढ़ने लगी है। बता दें कि सुषमा ने अपने स्वास्थ्य का हवाला देते हुए कहा कि वैसे तो मेरी चुनावी उम्मीदवारी तय करने का अधिकार मेरी पार्टी को है। लेकिन स्वास्थ्य कारणों से मैंने अपना मन बना लिया है कि मैं अगला लोकसभा चुनाव नहीं लड़ूंगी। उन्होंने कहा कि दिसंबर 2016 में गुर्दा प्रतिरोपण के बाद मुझे डॉक्टरों ने धूल से बचने की हिदायत दी है। इस कारण मैं पिछले एक साल से चुनावी सभाओं में भी भाग नहीं ले पा रही हूं।
मैं स्वास्थ्य कारणों से खुले स्थानों पर आयोजित कार्यक्रमों में शामिल नहीं हो सकती हूं। सुषमा, 2009 से ही लोकसभा में मध्यप्रदेश के विदिशा संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रही हैं। भाजपा नेता के नाम देश में सबसे युवा कैबिनेट मंत्री बनने का भी रिकार्ड है। वह हरियाणा सरकार में 1977 में महज 25 वर्ष की आयु में कैबिनेट मंत्री बनी थीं। उन्हें दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री बनने का गौरव भी हासिल है। स्वराज भारत की पहली महिला विदेश मंत्री थीं।
इससे पहले इन्दिरा गांधी ने प्रधानमंत्री रहते हुए यह दायित्व निभाया था। स्वराज तीन बार राज्यसभा सदस्य और अपने गृह राज्य हरियाणा की विधानसभा में दो बार सदस्य रह चुकी हैं। अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली सरकार में उन्होंने सूचना प्रसारण मंत्रालय, स्वास्थ्य मंत्रालय, संसदीय कार्य मंत्री सहित विभिन्न मंत्रालयों की जिम्मेदारी कैबिनेट मंत्री के रूप में संभाली थी। उन्होंने 1999 में बेल्लारी लोकसभा चुनाव कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के विरूद्ध लड़ा था।
हालांकि वह यह चुनाव सोनिया गांधी के हाथों हार गई थीं। सुषमा को भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी का करीबी माना जाता है। सुषमा लोकसभा में 2009-14 के बीच नेता प्रतिपक्ष थीं। सूत्रों के अनुसार विदिशा में टिकिट वितरण में अपनी उपेक्षा से आहत सुषमा स्वराज यह जानती हैं कि मोदी और शाह युग में उन्हें 2019 लोकसभा में टिकिट मिलना भी मुश्किल ही है। इसलिये स्वतः ही . . . .