नई दिल्ली: अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में मंदी का असर भारत के चमड़ा उद्योग पर बुरी तरह पड़ा है. ख़ासकर निर्यात 60 फ़ीसदी तक घट गया है. सुनील हरजाई की कंपनी सिद्धार्थ फुटवेयर एक्सपोर्ट्स 11 अंतरराष्ट्रीय ब्रांड्स के लिए जूते बनाती है. दुनिया भर से ऑर्डर आते हैं. लेकिन पिछले कुछ महीनों से इसमें कमी आ गई है. हालत ये है कि पिछले 2-3 महीनों से उनकी 15 मशीनें बंद पड़ी हैं. सुनील हरजाई ने कहा कि “पहले फ्रांस की मेसन हेरिटेज शू कंपनी 40,000 जूते के आर्डर देती थी लेकिन अब सिर्फ 18000 जूतों का आर्डर आया है …यानी एक्सपोर्ट आर्डर 50% से ज्य़ादा घट गया है. मेरी फैक्ट्री की 15 मशीनें पिछले 2-3 माह से बंद पड़ी हैं. मेरी फैक्ट्री की क्षमता 2200 से 2400 जूते रोज बनाने की है. लेकिन हम अभी 1000 जूते ही रोज बना रहे हैं. यानी हमारा प्रोडक्शन 60% तक घट गया है, आर्थिक मंदी की वजह से.” उनके सामने एक चुनौती बढ़ती इन्वेंटरी की भी है- यानी उनके गोदाम में कच्चा माल जमा होता जा रहा है. सुनील हरजाई ने कहा “अर्जेंटीना से काफी हाई एंड एक्सपोर्ट क्वालिटी लेदर मंगाया था. अब अगर मंदी और दूर नहीं हुई तो इन्हें आधे ही दाम में भारत में ही बेचना पड़ेगा.” सुनील हरजाई जैसे क़रीब 3500 चमड़ा उद्योग से जुड़े निर्यातक हैं जो ये दबाव झेल रहे हैं. 2017-18 में भारत के चमड़ा और जूता उद्योग ने 5.74 अरब डॉलर का निर्यात किया. इस उद्योग से 44 लाख से ज्यादा लोगों को रोज़गार मिलता है. भारत में विदेशी मुद्रा कमाने वाले दस सबसे बड़े क्षेत्रों में चमड़ा उद्योग भी है. जाहिर है, इस सेक्टर में गिरावट आई तो वो रोज़गार और पूंजी दोनों को झटका देने वाली साबित होगी.
अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में मंदी का भारत के चमड़ा उद्योग पर पड़ा बुरा असर
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