
अशाेक यादव, लखनऊ। रायबरेली के मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने जिलाधिकारी पर मीटिंग में गाली-गलौज और अभद्रता करने का आरोप लगाया है। सीएमओ ने उत्तर प्रदेश शासन को पत्र लिखकर डाॅक्टरों के सम्मान और गरिमा की रक्षा करने की दुहाई देकर जिलाधिकारी के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। महानिदेशक चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण को लिखे पत्र में सीएमओ डाॅ. संजय कुमार शर्मा ने बताया है कि शुक्रवार शाम मुख्यालय में नोडल अधिकारियों की बैठक में जिलाधिकारी वैभव श्रीवास्तव ने दुव्र्यवहार के सभी रिकार्ड तोड़ दिए।
सीएमओ ने बताया है कि भोजन व्यवस्था प्रभारी डाॅ. मनोज शुक्ला को छोड़कर मीटिंग में जनपद के सभी प्रशासनिक व स्वास्थ्य अधिकारी मौजूद थे।
भोजन प्रभारी की पत्नी गंभीर बीमारी से पीडि.त हैं।
पत्नी के इलाज के लिए अचानक उन्हें लखनऊ जाना पड़ा।
डाॅ. मनोज शुक्ला ने फोन पर मुझे सूचना दी और मैंने उन्हें छुट्टी दे दी।
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सीएमओ का आरोप है कि मीटिंग में भोजन प्रभारी डाॅ. मनोज शुक्ला को अनुपस्थित देखकर जिलाधिकारी बिफर पड़े।
डीएम ने मेरे साथ गाली-गलौज करते हुए गधा कहकर संबोधित किया।
आरोप है कि डीएम ने सीएमओ को जमीन में गाड़ने और खाल खींच लेने की धमकी दी।
सीएमओ ने बताया है कि तमाम अधिकारियों के सामने अपना इतना अपमान मैं बर्दाश्त नहीं कर सका और मेरी तबियत बिगड. गई।
जिसके बाद मैं मीटिंग छोड़कर बाहर आ गया।
सीएमओ ने कहा है कि जिलाधिकारी आए दिन डाॅक्टरों के साथ ऐसी ही भाषा का इस्तेमाल करते रहते हैं।
जिलाधिकारी के अपमान के चलते डाॅक्टरों का काम कर पाना मुश्किल हो गया है।
इसलिए जिलाधिकारी के खिलाफ कार्रवाई की जाए।
सीएमओ के आरोपों पर जब सत्योदय संवाददाता ने डीएम वैभव श्रीवास्तव का पक्ष जानना चाहा तो उन्होंने कहा कि कल की मीटिंग में सीएमओ को डांटा जरूर था लेकिन गाली-गलौज करने के आरोप गलत हैं।
डीएम का कहना है कि जनपद की चिकित्सा व्यवस्थाओं के लेकर आ रहीं शिकायतों का सीएमओ कोई जवाब नहीं दे रहे हैं।
सीएमओ जनपद में कोविड से होने वाली मौतों की जानकारी तक नहीं दे पा रहे हैं।
डीएम का कहना है कि शिकायत मिली थी कि जिला अस्पताल में मरीजों को एक समय का ही भोजन मिल रहा है।
इस पर भोजन प्रभारी को तलब किया गया था।
लेकिन मीटिंग में जब भोजन प्रभारी उपस्थित नहीं हुए तो सीएमओ से कारण पूछा।
इस सीएमओ ने कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया। इस हमने सीएमओ को डांट लगाई।
सीएमओ द्वारा भोजन प्रभारी को मेडिकल लीव देने की बात भी झूठी है।
डीएम ने कहा कि डाॅ. मनोज शुक्ला ने आज खुद कार्यालय आकर स्वीकार किया है कि उन्होंने शुक्रवार को कहीं किसी डाॅक्टर से परामर्श नहीं लिया है। डीएम ने कहा कि किसी अधिकारी, कर्मचारी को चिकित्सा आधार पर छुट्टी में कोई परेशानी नहीं है, लेकिन लापरवाही किसी की भी बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
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डीएम ने बताया कि सीएमओ के खिलाफ कार्रवाई के लिए सीडीओ ने अब तक करीब 25 लेटर लिखे हैं।
जिनमें सीएमओ पर प्रशासनिक कार्यों में लापरवाही समेत अन्य आरोप हैं।
डीएम ने कहा कि गाली-गलौज देने की बात झूठी है, यह खुद सीएमओ ने भी स्वीकार किया है।
शासन जांच करा ले या मीटिंग में उपस्थित रहे किसी भी अधिकारी से पूछताछ कर ले।
डीएम ने बताया कि फिलहाल सीएमओ की एक महीने की सैलरी रोक दी गई है।
जनपद में कोविड मरीजों की मौत के आंकड़े प्रस्तुत न करने तक सीएमओ को वेतन नहीं दिया जाएगा