
अशाेक यादव, लखनऊ। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज कहा कि भारतीय जनता पार्टी ने देश में चुनाव नहीं बल्कि महात्मा गांधी के सेवा के मंत्र के आधार पर देशवासियों का दिल जीता है और पार्टी के विस्तार से डरे हुए राजनीतिक विरोधी झूठ और अफवाहें फैला कर देश में अस्थिरता पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने यहां भाजपा के 41वें स्थापना दिवस के मौके पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए यह बात कही। पार्टी के दीनदयाल उपाध्याय मार्ग स्थित केन्द्रीय कार्यालय में भाजपा अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ने पार्टी के ध्वजारोहण और पंडित दीनदयाल उपाध्याय और डाॅ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी की प्रतिमाओं पर श्रद्धासुमन अर्पित करने के बाद पार्टी के अन्य प्रमुख नेताओं के साथ प्रधानमंत्री का संदेश सुना।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भाजपा की गौरवशाली यात्रा के आज 41 वर्ष पूरे हो रहे हैं। ये 41 वर्ष इस बात के साक्षी हैं कि सेवा और समर्पण के साथ कोई पार्टी कैसे काम करती है। उन्होंने कहा, “डॉ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी जी, पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी, अटल बिहारी वाजपेयी जी, कुशाभाऊ ठाकरे जी, राजमाता विजयाराजे सिंधिया जी, ऐसे अनगिनत महान व्यक्तित्वों को बीजेपी के प्रत्येक कार्यकर्ता की तरफ से मैं श्रद्धांजलि देता हूं, श्रद्धासुमन अर्पित करता हूं।”
प्रधानमंत्री ने पार्टी को आकार एवं विस्तार देने एवं पार्टी को अपना जीवन समर्पित करने वाले लालकृष्ण आडवाणी, डॉ. मुरली मनोहर जोशी सहित सभी वरिष्ठ नेताओं काे नमन किया। उन्होंने कहा कि डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बलिदान की शक्ति है कि हम संविधान का अनुच्छेद 370 हटाकर कश्मीर को संवैधानिक अधिकार दे पाये।
मोदी ने कहा कि पहले जो सरकारें रहीं, उनकी प्राथमिकताओं में ये छोटे किसान, इन छोटे किसानों की जरूरतें, कभी नहीं रहीं। उन्होंने कहा, “जो लोग कहते हैं कि भाजपा चुनाव जीतने की मशीन है, वो एक प्रकार से भारत के लोकतंत्र की परिपक्वता को समझ नहीं पाते।
वो भारत के नागरिकों की सूझबूझ और उनकी आशाओं-अपेक्षाओं और सपनों को नहीं समझ पाते। जबकि सच्चाई ये है कि भाजपा चुनाव जीतने की मशीन नहीं, देश और देशवासियों का दिल जीतने वाला एक अनवरत-अविरल अभियान है। हम हमेशा इस बात का गर्व करते हैं कि देश के लोगों ने हमें जिताया।”
प्रधानमंत्री ने कहा कि केरल और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में हमारे कार्यकर्ताओं को धमकियां दी जाती हैं, उन पर हमले होते हैं, उनके परिवार पर हमले होते हैं। लेकिन अपनी विचारधारा के लिए वो अडिग रहते हैं, डटे रहते हैं। वहीं वंशवाद और परिवारवाद का हश्र भी 21वीं सदी का भारत देख रहा है।
उन्होंने कहा कि स्थानीय आकांक्षाओं के सहारे जो स्थानीय पार्टियां खड़ी हुईं, बाद में वो भी एक परिवार की, एक दो लोगों की पार्टियां बनकर रह गईं। नतीजा आज सामने है। ऐसी पार्टियों ने जो नकली सेकुलरिज़्म का नकाब पहन रखा था, वो भी उतरना शुरू हो गया है।