नई दिल्ली। मेनका गांधी मौजूदा समय में केंद्र सरकार में मंत्री हैं। लेकिन अपने शुरुआती दौर में मेनका एक पत्रिका की संपादक भी रह चुकी हैं। बतौर पत्रिका के संपादक रहते हुए उस वक्त वह चर्चा में आई थीं जब उन्होंने अपनी पत्रिका में सेक्स स्कैंडल की खबर को छापा था। यह पहली बार था जब किसी पत्रिका ने किसी सेक्स स्कैंडल को अपनी पत्रिका में जगह दी हो। उन्होंने दलित नेता जगजीवन राम के सेक्स स्कैंडल की खबरे अपनी पत्रिका में छापी थी।
मेनका गांधी ने छापी थी तस्वीरें
मेनका गांधी की पत्रिका सूर्य में वर्ष 1978 में जगजीवन राम की तस्वीर को छापते हुए उनकी सेक्स स्कैंडल की खबर को प्रकाशित किया था। इस खबर के बाद जगजीवन राम का राजनीतिक कैरियर तकरीबन खत्म हो गया था। लेकिन तकरीबन 40 वर्ष बाद मेनका गांधी के बेटे वरुण गांधी कुछ ऐसे ही दौर से गुजर रहे हैं, जिस दौर से जगजीवन राम को गुजरना पड़ रहा है। वरुण गांधी को भी मौजूदा समय में भाजपा का कद्दावर नेता माना जाता है, कई राजनीतिक जानकारों का मानना है कि आने वाले समय में वह पार्टी में काफी अहम भूमिका निभा सकते हैं।
वरुण गांधी ने तस्वीरों को बताया फर्जी
दरअसल वरुण गांधी की एक विवादित तस्वीर को साझा किया जा रहा है, मुमकिन है कि यह तस्वीर फर्जी भी हो और इसके साथ छेड़छाड़ की गई हो। पहली बार इस तस्वीर को देखें तो लगता है कि यह फर्जी है, लेकिन इसके बावजूद इस तस्वीर के चलते वरुण गांधी की छवि धूमिल होती नजर आ रही है। हालांकि इस तस्वीर के बारे में वरुण गांधी की ओर से कोई भी सफाई नहीं आई है, लेकिन पार्टी की तरफ से प्रवक्ता का कहना है कि इस मुद्दे पर वरुण गांधी को ही बोलने दिया जाए, हमें इस मुद्दे पर बोलने से मना किया गया है।
वरुण को आगे बढ़ने से रोकने की कोशिश
इस मुद्दे पर वरुण गांधी ने टिप्पणी नहीं की और उन्होंने आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है, वहीं भाजपा का इस मुद्दे पर कहना है कि इसपर जो कुछ कहना था वह वरुण गांधी ने कह दिया है। लेकिन इस तस्वीर को साझा किए जाने के पीछे कुछ लोगों का मानना है कि यह उनकी छवि को धूमिल करने की कोशिश है, ताकि उन्हें यूपी का मुख्यमंत्री नहीं बनने दिया जाए।
इंदिरा के लिए थे बड़ी चुनौती
जिस वक्त जगजीवन राम जनता सरकार में उपप्रधानमंत्री थे, उस वक्त मेनका गांधी की मैग्जीन ने उनके सेक्स स्कैंडल की खबर को प्रकाशित किया था। माना जा रहा था कि वह इंदिरा गांधी के लिए आने वाले समय में बड़ी चुनौती साबित हो सके हैं। इंदिरा गांधी जगजीवन राम से काफी नाराज थीं और उस वक्त मेनका गांधी परिवार की बहू थी, लिहाजा मेनका गांधी ने जो कदम उठाया उसने ना सिर्फ इंदिरा गांधी के लिए मददगार साबित हुई बल्कि विपक्ष के लिए बड़ी मुश्किल का सबब बना
खुशवंत सिंह ने रखे तथ्य
जाने माने लेखक और पत्रकार खुशवंत सिंह ने इस मुद्दे पर कहा था कि उन्हें भी यह विवादित तस्वीरें एक लिफाफे में मिली थी, जब वह कांग्रेस द्वारा चलने वाले नेशनल हेराल्ड अखबर में संपादक थे। उस दौर में पॉर्न आसानी से लोगों के बीच उपलब्ध नहीं था, लिहाजा लोगों के बीच इन मुद्दों को लेकर काफी सख्त रुख था। उस वक्त ऑब्सेनिटी के कानून काफी सख्त थे, लिहाजा किसी अन्य संस्थान इन तस्वीरों को नहीं छापा। वरिष्ठ पत्रकार इंदर मल्होत्रा ने इसपर कहा था कि अंग्रेजी अखबार को ये तस्वीरें मिली थी, लेकिन इन तस्वीरों को इसलिए नहीं छापा गया क्योंकि यह काफी आपत्तिजनक तस्वीर थी और यह तस्वीरें राजनीति से प्रेरित हो सकती थीं।
बड़े विकल्प के तौर पर उभरे थे जगजीवन राम
लेकिन सूर्य पत्रिका ने इन तस्वीरों का इस्तेमाल किया, जिसके बाद तस्वीरों ने देशभर में सनसनी फैला दी। दरअसल जगजीवन राम इंदिरा गांधी की कैबिनेट में थे और उन्होंने 30 साल तक अपनी सेवाएं दी, लेकिन देश के उपप्रधानमंत्री के लिए उन्होंने जनता दल का हाथ थामा। माना जा रहा था कि जगजीवन राम इंदिरा गांधी के मुकाबले एक बड़ा दलित विकल्प हो सकते थे।
कांग्रेस लौटने के लिए तैयार थे जगजीवन राम
खुशवंत सिंह की मानें तो जगजीवन राम मोरारजी सरकार का साथ छोड़ने के लिए तैयार थे, उन्होंने कांग्रेस के सामने यह शर्त रखी थी कि अगर इन तस्वीरों को ना छापा जाए तो वह कांग्रेस में लौटने के लिए तैयार हैं, लेकिन यह डील हो न सकी और सूर्य मैगजीन ने इन तस्वीरों को छाप दिया था। बहरहाल मौजूदा हालात पर अगर नजर डालें को जो नुकसान जगजीवन राम को हुआ था वह वरुण गांधी को होता नहीं दिख रहा है। राष्ट्रीय मीडिया ने इस खबर को प्रमुखता के साथ नहीं दिखाया और कई लोगों का मानना है कि यह तस्वीरें फर्जी हैं।