देश में लगातार दो दिन से बैंक कर्मियों का हड़ताल चल रहा है। इस हड़ताल की वजह से वित्तीय गतिविधियां प्रभावित हुई हैं। इन कर्मचारियों और संगठनों से जुड़े लोग बैंकों के प्राइवेट किए जाने का विरोध कर रहे हैं। अब इस पूरे मसले पर वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने सफाई दी है। उन्होंने अपने बयान में कहा है कि सरकार कर्मचारियों का पूरा ध्यान रखेगी और उनका हित किसी भी तरीके से प्रभावित नहीं होगा।
वित्तमंत्री ने अपने बयान में कहा, “ऐसे कई बैंक जिनका प्रदर्शन शानदार है। लेकिन कुछ ऐसे भी बैंक हैं जिनका प्रदर्शन बहुत ठीक नहीं है। हमें स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के आकार के बैंक चाहिए, जोकि देश जरूरतों को पूरा कर सकें।” उन्होंने कहा, ‘हमने पब्लिक एंटरप्राइजेज पाॅलिसी की घोषणा की है, जिसके आधार पर हम चार जगहों को चिन्हित करेंगे जहां सरकार की उपस्थिति होनी चाहिए।”
कर्मचारियों को लेकर बोलते हुए निर्मला सीतारमण ने कहा, ‘वह सभी जिनका निजीकरण किया जा रहा है। उनके कर्मचारियों के हितों का पूरा ध्यान रखा जाएगा। हम उन्हें बेचने नहीं जा रहे हैं। हम चाहते हैं कि वित्तीय संस्थान अधिक इक्विटी प्राप्त करें, अधिक से अधिक लोग उसमें पैसा इंवेस्ट करें। जिससे उन्हें टिकाऊ बनाया जा सके।”
सरकार ने 2019 में आईडीबीआई (IDBI) बैंक में अपनी अधिकतर हिस्सेएदारी एलआईली (LIC) को बेचकर उसका निजीकरण दिया था। पिछले चार साल में सरकारी सेक्टर के 14 बैंकों का विलय हो चुका है। बजट 2021-22 में वित्तक मंत्री निर्मला सीतारमण ने दो और सरकारी बैंकों के निजीकरण का प्रस्ताकव रखा, जिसका विरोध सरकारी बैंक कर्मचारी कर रहे हैं।
इस मामले में अतिरिक्त मुख्य श्रम आयुक्त के साथ 4, 9 और 10 मार्च को बैठक हुई लेकिन कोई हल नहीं निकला, जिसके बाद बैंक कर्मचारियों ने दो दिनों की हड़ताल की। बैंक यूनियंस की हड़ताल के बाद 17 मार्च को जनरल इंश्यो रेंस कंपनियों के कर्मचारी हड़ताल पर जा सकते हैं।
नीति आयोग ने क्याा कहा?
नीति आयोग ने 6 सरकारी बैंकों को निजीकरण योजना से बाहर रखा है। इनमें पंजाब नैशनल बैंक, यूनियन बैंक, कैनरा बैंक, इंडियन बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा और एसबीआई शामिल हैं। वित्त मंत्रालय के भी मुताबिक जो सरकारी बैंक कंसॉलिडेशन एक्सरसाइज का हिस्सा थे, उन्हें निजीकरण योजना से अलग रखा गया है।