लखनऊ: देश की सबसे बड़ी आईटी कंपनी टीसीएस ने एक बार फिर से भारतीयों को गर्व करने का मौका दिया है. कंपनी 100 अरब डॉलर की मार्केट वैल्यू हासिल करने वाली देश की पहली कंपनी बन गई है. इसी के साथ यह साबित हो गया है कि सही रणनीति और बेहतर परफॉर्मेंस आपको नईं ऊंचाइयों पर पहुंचाने में अहम भूमिका निभाती है. टीसीएस को इस मुकाम पर पहुंचाने में जिस शख्स की भूमिका रही है, वो हैं टाटा सन्स के मौजूदा चेयरमैन एन चंद्रशेखरन. चंद्रशेखरन लंबे समय तक टीसीएस के चेयरमैन रहे और उन्हीं की अगुआई में टीसीएस टाटा ग्रुप की नंबर वन कंपनी बनने के साथ ही देश की सबसे वैल्यूएबल कंपनी भी बनी. लेकिन शायद ही किसी को पता हो कि कभी TCS में ‘गुमनाम’ एंप्लॉई की तरह रहने वाले चंद्रशेखरन ने कैसे इतने बड़े मुकाम को हासिल किया.
टाटा संस के चेयरमैन नटराजन चंद्रशेखरन की शख्सियत की खूबी यह है कि वह जो ठान लेते हैं, उसे करके दिखाते हैं. शायद यही वह खूबी है, जिसने टीसीएस जैसी दिग्गज कंपनी के एक गुमनाम एंप्लॉई से उन्हें पहले उसका चेयरमैन बनाया और अब वह देश के सबसे बड़े कॉरपोरेट हाउस टाटा ग्रुप के चेयरमैन हैं.
TCS के फॉर्मर वाइस चेयरमैन एस रामादोराई ने 1993 में चंद्रा का हुनर पहचाना और 1996 में उन्हें अपना एग्जिक्यूटिव असिस्टेंट बनाया. रामादोराई ने बताया, ‘चंद्रा के बारे में कई लोगों, क्लाइंट और सहकर्मचारी से अच्छा फीडबैक मिला था. उनमें वर्ल्ड क्लास टीम और वैल्यू सिस्टम बनाने की योग्यता है. कुछ समय तक कंपनी के अंदर यह मजाक चलता रहा कि TCS का मतलब है- टेक चंद्रा सीरियसली. बहुत जल्द उन्होंने बिजनेस बढ़ाने की योग्यता कंपनी में साबित की.
1999 में उन्होंने ई-बिजनेस यूनिट शुरू की और उसे पांच साल के अंदर 50 करोड़ डॉलर तक पहुंचा दिया. 2002 में जीई से 10 करोड़ डॉलर की डील हासिल करके उन्होंने धाक जमा ली थी. यह किसी भारतीय कंपनी को मिली पहली 10 करोड़ डॉलर की डील थी. 2009 में रामादोराई के हटने के बाद वह टीसीएस के सीईओ बने. उनके बॉस रहने के दौरान कंपनी का रेवेन्यू 6.3 अरब डॉलर से बढ़कर 16.5 अरब डॉलर हो गया. TCS के साथ चंद्रशेखन ने 1987 में शुरुआत की थी.
जनवरी, 1987 में टीसीएस जॉइन करने के बाद उन्होंने तेजी से अपनी पहचान बनाई. चंद्रा के शुरुआती बॉस में एक और टीसीएस के फॉर्मर CFO एस महालिंगम ने बताया, शुरू से ही उन्हें एक लीडर माना जाता था. 1980 के दशक में उन्होंने कंपनी जॉइन की. उसी दौरान कई टैलेंटेड लीडर्स टीसीएस में आए थे. हालांकि, चंद्रा ने अपनी अलग पहचान बनाई. उन्होंने बहुत कम समय में करियर बनाया और ऐसा गिने-चुने लोग ही कर पाते हैं.
पिता ने समझी चंद्रेशखरन के मन की बात- चंद्रशेखरन ने बताया कि जब वह अपने पिता के साथ खेतों में काम कर रहे थे, तो वह इससे खुश नहीं थे. मेरा मन आगे पढ़़ाई करने का था, लेकिन पिता से ये बात नहीं बोल पाता था. उन्होंने बताया कि करीब 5 महीने के बाद मेरे चेहरे पर निराशा पूरी तरह झलकने लगी थी. मुझे निराश देखकर मेरे पिता ने मुझसे बात की और मेरे मन की बात पूछी. मैंने भी उनके सामने अपनी आगे पढ़ाई करने की ख्वाहिश रखी. मेरी इच्छा का मेरे पिता ने भी सम्मान किया और मुझे पढ़ाई करने के लिए भेजा. इस तरह चंद्रशेखरन के बिजनेस करियर की शुरुआत हुई.