बीजिंग: चीन का दोगला चेहरा फिर बेनकाब हो गया है। एक तरफ चीन पुलवामा हमले को लेकर भारत से संवेदना व्यक्त करने का दिखावा कर रहा है और दूसरी तरफ पाकिस्तान से दोस्ती निभाते हुए कह रहा है कि भारत को बिना सबूत के हमले का दोष पाकिस्तान पर लगाने की बजाय अपनी आतंक विरोध नीति को दोबारा बनाने पर ध्यान देने की जरूरत है। चीन ने नसीहत भरे लहजे में कहा है कि भारत को बिना किसी सबूत के संयुक्त राष्ट्र में जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर को आतंकवादी के तौर पर सूचीबद्ध करने के प्रयासों को रोकने के लिए चीन को जिम्मेदार नहीं ठहराना चाहिए। चीनी मीडिया ने कहा है कि भारत अजहर के खिलाफ सबूत देने में नाकाम रहा है और चीन ने अजहर को आतंकवादी के रूप में सूचीबद्ध करने के प्रति सावधानी बरती है।
बता दें 14 फरवीर को पुलवामा में भारतीय सैनिकों पर आतंकी हमला हुई था। इस हमले में सीआरपीएफ के काफिले को निशाना बनाया गया। इसमें हमारे 40 जवान शहीद हो गए जबकि पांच घायल हुए थे। ये एक आत्मघाती हमला था जिसकी जिम्मेदारी पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने ली है। जिसे संयुक्त राष्ट्र भी आतंकी संगठन घोषित कर चुका है। जो चीन की कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीसी) का मुखपत्र है। इस लेख में पुलवामा हमले को लेकर भारत सरकार के सभी दावों को इसमें खारिज किया गया है। इस आर्टिकल में कहा गया है,
ठोस सबूत के बिना भारत ने लंबे समय से पाकिस्तान पर जैश-ए-मोहम्मद और अन्य आतंकवादी संगठनों और चीन द्वारा पाकिस्तान को समर्थन प्रदान करने के लिए आतंकवादी हमलों को प्रायोजित करने का आरोप लगाया है। इसमें आगे लिखा है, अन्य देश खास तौर पर चीन और पाकिस्तान पर दोष लगाने से बेहतर भारत सरकार को अपनी आतंक विरोधी नीति पर आत्मनिरीक्षण और कश्मीर के भारत-नियंत्रित हिस्से को बेहतर तरीके से संचालित करने के तरीके पर अधिक ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है।ष् अजहर पर प्रतिबंध लगाने के लिए बीजिंग ने कई बार अपना रुख बदला है क्योंकि नई दिल्ली ठोस सबूत पेश नहीं कर पाई है। चीन के पास मुद्दे को सावधानी से संभालने के लिए कई वजह हैं।