Breaking News

गोरखपुर हत्याकांड: सही कौन ? सरकारी दावे या पीड़ितों के बयान

गोरखपुर: गोरखपुर के बाबा राघवदास मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में पांच दिन में जिन साठ बच्चों की मौत हुई उनमें से कई की मौत के लिए ऑक्सीजन की कमी को ज़िम्मेदार बताया जा रहा है. इन बच्चों में से कई तो कुछ दिन पहले ही पैदा हुए थे. इनमें से एक थी कुशीनगर की सारिका जो कई दिनों से यहां ज़िंदगी और मौत से लड़ रही थी. सारिका और जान गंवाने वाले कई बच्चों के माता-पिता ने सरकार के इस दावे को ग़लत बताया है कि ऑक्सीजन की कमी की समस्या एक ही बार हुई जो 10 अगस्त की शाम से शुरू हुई और अगली सुबह तक ठीक कर ली गई.

 

बता दें कि बेबी सारिका का जन्म गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में हुआ लेकिन समय से पहले, लिहाज़ा उसे अस्पताल की निगरानी में रखना पड़ा. बीते सत्रह दिन से वो अस्पताल के जनरल वॉर्ड और आईसीयू के बीच घूमती रही, लेकिन परिवार ने फिर भी उम्मीद नहीं छोड़ी. मगर गुरुवार की शाम पांच बजकर दस मिनट पर कार्डियो रेस्पिरेटरी फेल्योर से उसकी मौत हो गई. इसके ठीक दो घंटे बाद ही बाल्य रोग विभाग में ऑक्सीजन की कमी की दिक्कत सामने आई. सरकार ने कहा, ऐसा एक ही बार हुआ जिसपर कुछ घंटे में ही काबू पा लिया गया.

 

लेकिन अस्पताल के आईसीयू में कई दिन से परेशान सारिका के पिता और अन्य रिश्तेदार इस दावे को झुठला रहे हैं. उनका कहना है कि दो दिन पहले भी ऑक्सीजन की सप्लाई में काफ़ी कमी आ गई थी. बेबी सारिका के पिता अजय शुक्ला ने बताया दो दिन पहले एनआईसीयू वार्ज के ठीक बगल में 8 अगस्त को ऑक्सीजन सप्लाई बोर्ड पर लाल लाइट बीप कर रही थी. उन्होंने कहा कि मेरे भतीजे ने मुझसे यह पूछा भी था कि यह क्या है. हमें बाद में पता चला कि यह ऑक्सीजन कम होने का अलार्म है.

 

दूसरे पीड़ित अभिनीत शुक्ला ने बताया कि वहां पर पूरा अफरातफरी का माहौल था. सुबह से ही कई मौतों की खबरें आ रही थीं. हर मरीज का रिश्तेदार इस बात को लेकर चिंतित था कि आखिर इतनी मौतें क्यों हो रही हैं. गुरुवार को आधी रात और सुबह साढ़े छह बजे के बीच छह बच्चों ने दम तोड़ा. इसके बाद दोपहर डेढ़ बजे से अगले साढ़े तीन घंटे में पांच और बच्चों की जान चली गई.

 

29 साल के सुनील प्रसाद की साढ़े तीन साल की बेटी थी. नाम शालू था. शालू बच्चों के आईसीयू में गई तो बाहर नहीं आई. शुक्रवार तड़के जब अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी थी तो उसने दम तोड़ दिया. परिवार उन आख़िरी दर्दभरे लम्हों को कभी भूल नहीं पाएगा जब वो एक एक सांस के लिए संघर्ष कर रही थी. सुनील प्रसाद का कहना है कि अगर उन्हें पता होता कि ऑक्सीजन की कमी है तब वह कभी भी यहां पर बेटी को लेकर नहीं आते. उनका कहना है कि जब मुझे बाद में पता चला कि ऑक्सीजन की कमी थी तब मैं कुछ समझ पाया.

यह अलग बात है कि यूपी सरकार और अस्पताल प्रशासन इस बात से इनकार कर रहा है कि वहां पर किसी प्रकार से ऑक्सीजन की कमी थी, वहीं पीड़ितों का कहना है कि सरकार इस मामले में जल्द से जल्द निष्पक्ष जांच कराए.

Loading...

Check Also

आप और आपका बुलडोज़र इतना ही सफल है तो ‘बुलडोज़र’ चुनाव चिन्ह लेकर चुनाव लड़ जाइए, भ्रम और घमंड टूट जाएगा….

सूर्योदय भारत समाचार सेवा, लखनऊ : अखिलेश यादव ने अपने एक्स पोस्ट में लिखा कि ...