
अशाेेेक यादव, लखनऊ। राजधानी के केजीएमयू में पहली बार एंटीबाॅडी टेस्टिंग शुरू की गयी है। इसकी शुरूआत अस्पताल के कोविड-19 वार्ड में ड्यूट कर रहे और कर चुके डाक्टरों व पैरामेडिकल स्टाफ से की गयी है। यह टेस्टिंग इम्यूनोग्लोबिन-जी एंटीबाॅडी के लिए की जा रही है।
क्योंकि यह वह एंटीबाॅडी है जो कोरोना का संक्रमण होने पर शरीर के अंदर तैयार होती है और संक्रमण से लड़ती है। यह जानकारी सोमवार को केजीएमयू की ट्रान्सफ्यूजन मेडिसिन विभाग की प्रमुख प्रोफेसर डाॅ. तूलिका चन्द्रा ने दी।
डाॅ. तूलिका चन्द्रा ने बताया कि स्वीकृति मिलने के बाद पहली बार ऐसी जांच शुरू की गयी है। अभी तक कोरोना के टेस्ट के लिए एंटीजन की ही टेस्टिंग हो रही थी।
डाॅक्टर ने बताया कि इम्यूनोग्लोबिन जी कोरोना वायरस के लिए प्रोटेक्टिव एंटीबाॅडी होती है। जो महामारी के संक्रमण से लड़ने के लिए हमारी प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है।
डाॅ. तूलिका चन्द्रा ने बताया कि कोविड-19 के केस में देखा गया है कि बहुत से मरीजों में संक्रमण के लक्षण नहीं दिखाई पड़ते। ऐसे मरीजों को एसिम्टोमैटिक कहा जाता है।
जबकि किसी-किसी मरीज में लक्षण काफी ज्यादा उभर कर आते हैं और उसकी हालत भी गंभीर हो जाती है। एसिम्टोमैटिक मरीज अपने आप ही ठीक हो जाते हैं और उनके अंदर इम्यूनोग्लोबिन जी एंडीबाॅडी डेवलप हो जाती है।
डाॅ. तूलिका चन्द्रा ने बताया कि कोरोना संक्रमित गंभीर मरीजों का प्लाज्मा थेरेपी से इलाज इसी सिद्धांत पर आधारित है। जो कोरोना संक्रमित मरीज स्वस्थ हो चुके होते हैं, उनके प्लाज्मा में इम्यूनोग्लोबिन-जी पाया जाता है।
इम्यूनोग्लोबिन-जी युक्त यह प्लाज्मा जब कोरोना के गंभीर मरीजों को दिया जाता है तो वह ज्यादा जल्दी स्वस्थ होते हैं। क्योंकि एंटीबाॅडी इम्यूनोग्लोबिन-जी कोराना के एंटीजन को मार देता है।