
अशाेेेक यादव, लखनऊ। राजधानी में कोरोना मरीजों को बेहतर इलाज करने का दावा जमीन पर नहीं दिखा। संक्रमित मरीजों को भर्ती कराने के लिए अस्पतालों में बेड उपलब्ध नहीं हैं। जिसके साथ ही भारी तादाद में मरीज आने से अस्पतालों के आइसीयू फुल हो गए हैं। मरीजों को अस्पताल पहुंचने के बावजूद घंटों एंबुलेंस में तड़पना पड़ रहा है।
एक आंकड़े के मुताबिक, लखनऊ अगस्त में जुलाई से पांच गुना वायरस की रफ्तार बढ़ गई है। इस माह एक दिन में न्यूनतम मरीज 336 रहे। वहीं अधिकतम 831 रिकॉर्ड किए गए। हर रोज सैकड़ों मरीज आने से स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित हुई हैं। ऐसी स्थिति में होम आइसोलेशन नीति लागू होने के बावजूद गंभीर मरीजों को समय पर बेड नहीं मिल पा रहा है।
मामला बुधवार रात का है। जहां बताया गया कि कोविड कंट्रोल रूम द्वारा जानकीपुरम निवासी (55) वर्षीय फूलमती को दुबग्गा के निजी मेडिकल कॉलेज भेजा गया।
पुत्र अवनीश के मुताबिक, मां फूलमती को गैंगरीन हो गया था। वहीं कोरोना होने से हालत बिगड़ गई। शाम सात बजे अस्पताल लेकर पहुंची एंबुलेंस को बेड फुल बताकर बाहर कर दिया गया। कई जगह कॉल की गई। रात दो बजे मरीज को आइसीयू में भर्ती किया जा सका। ऐसे ही गुरुवार को भी 621 मरीजों में कोरोना की पुष्टि हुई। भारी तादाद में मरीज आने से अस्पतालों के आइसीयू फुल हैं।
आपको बता दें कि, लोहिया संस्थान का 20 बेड का आइसीयू, केजीएमयू का 40 बेड का आइसीयू देर शाम फुल हो गया। गंभीर मरीजों को कोविड अस्पताल के आइसीयू में समय पर बेड मिलना मुश्किल हो रहा है।