
अशोक यादव, लखनऊ: केंद्र ने राज्यों से लॉकडाउन के दौरान प्रवासी मजदूरों की आवाजाही को रोकने के लिए राज्य और जिलों की सीमा को प्रभावी तरीके से सील करने के निर्देश दिए हैं। अधिकारियों ने रविवार को यह जानकारी दी।
इसके साथ ही केंद्र ने राज्यों को यह सुनिश्चित करने को कहा है कि प्रवासी मजदूरों के लिए उनके काम करने की जगह पर ही सभी तरह के सुविधाएं मुहैया कराई जाए। इतना ही नहीं, मजदूरों को समय पर उनके वेतन का भुगतान हो, इसके लिए भी राज्यों को निर्देश जारी किए गए हैं।
राज्यों को उन लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने को कहा गया है, जो छात्रों अथवा मजदूरों से जगह खाली करने को कह रहे है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दुनिया भर में महामारी का रूप ले चुके कोरोना वायरस ‘कोविड-19’ से निर्णायक लड़ाई के लिए 24 मार्च की आधी रात से समूचे देश में 21 दिन के लॉकडाउन और 15 हज़ार करोड़ रुपए के पैकेज की घोषणा की थी।
पीएम मोदी ने देशवासियों से हाथ जोड़कर विनती की कि वे अपने घर से बाहर बिल्कुल न निकलें क्योंकि इस जानलेवा वायरस के संक्रमण की श्रंखला को तोड़ने का यही एक मात्र रास्ता है।
प्रवासी मजदूरों के लिए 28 मार्च को सीमित संख्या में बस चलाने के उत्तर प्रदेश प्रशासन के फैसले के बाद अपने घर पहुंचने की जल्दी में बसों में सीट के लिए झगड़ा करते मजदूरों से दिल्ली-गाजियाबाद सीमा पूरी तरह पटी नजर आई जहां अफरातफरी और भगदड़ जैसे हालात बने हुए थे।
दिल्ली, हरियाणा और पंजाब के हजारों दिहाड़ी मजदूर कई किलोमीटर पैदल चलने के बाद बस पकड़ने के लिए आनंद विहार, गाजीपुर और गाजियाबाद के लाल कुआँ क्षेत्र पहुंचे। लोगों की संख्या अत्यधिक होने और बस में जगह न होने के कारण कई मजदूर बसों की छत पर बैठ गए।
संक्रमण फैलने के खतरे के बीच सामाजिक दूरी के सारे नियम धरे रह गए और लोग बसों में जहां पांव टिकाने की जगह मिली वहीं खड़े नजर आए। इनमें से कुछ ने मास्क पहने थे, लेकिन ज्यादातर लोगों ने संक्रमण से बचने के लिए मुंह पर रुमाल बांधा था।