
नई दिल्ली। केन्द्र के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे किसानों ने अपने आंदोलन के छह माह पूरे होने पर बुधवार को ‘काला दिवस’ मनाया और इस दौरान उन्होंने काले झंडे फहराए, सरकार विरोधी नारे लगाए, पुतले जलाए और प्रदर्शन किया।
गाजीपुर में प्रदर्शन स्थल पर थोड़ी अराजकता की भी खबर है, जहां किसानों ने भारी संख्या में पुलिसकर्मियों की तैनाती के बीच केन्द्र सरकार का पुतला जलाया। ‘काला दिवस’ प्रदर्शन के तहत किसानों ने तीन सीमा क्षेत्रों सिंघू, गाजीपुर और टिकरी पर काले झंडे लहराए और नेताओं के पुतले जलाए।
दिल्ली पुलिस ने लोगों से कोरोना वायरस संक्रमण से हालात और लागू लॉकडाउन के मद्देनजर इकट्ठे नहीं होने की अपील की है और कहा कि प्रदर्शन स्थल पर किसी भी स्थिति से निपटने के लिए वह कड़ी नजर बनाए रखे है। किसान नेता अवतार सिंह मेहमा ने कहा कि न केवल प्रदर्शन स्थल पर बल्कि हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश के गांवों में भी काले झंडे लगाए गए हैं।
उन्होंने कहा कि ग्रामीणों ने अपने घरों और वाहनों पर भी काले झंडे लगाए हैं। मेहमा ने कहा, ”सरकार के नेताओं के पुतले जलाए गए। आज का दिन यह बात दोहराने का है कि हमें प्रदर्शन करते हुए छह माह हो गए हैं लेकिन सरकार जिसके कार्यकाल के आज सात वर्ष पूरे हो गए, वह हमारी बात नहीं सुन रही है।”
वहीं हरियाणा के सिरसा में किसानों ने भूमणशाह चौक पर एकत्रित होकर किसान नेता लखविंद्र सिंह औलख के नेतृत्व में राज्य के उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला की ओर बढ़ने का प्रयास किया। इस दौरान वहां तैनात पुलिस अधिकारियों ने समझाने का प्रयास किया लेकिन इसके बावजूद किसानों ने उप मुख्यमंत्री आवास की ओर जाते मार्ग पर लगाये गये अवरोधकों को तोड़ डाला और अंदर घुस गये। किसानों की इस दौरान पुलिस से झड़प भी हुई। किसानों ने वहां नारेबाजी कर देश और प्रदेश के नेताओं के पुतले दहन किये। अनके किसान इस दौरान हाथों में काले झंडे लिये हुये थे।