काबुल। अफगानिस्तान पर तालिबान का लगभग कब्जा हो चुका है। रविवार दोपहर को तालिबान सरकारी नियंत्रण वाले इलाकों की तरफ तेजी से आगे बढ़ा है। इस बीच भारतीय अधिकारियों को अफगानिस्तान में फंसे सैकड़ों राजनयिकों और नागरिकों की सुरक्षा की चिंता सताने लगी है। तालिबान का काबुल में इस तरह से बढ़ना कई देशों के लिए हैरानी का विषय है।
हालांकि हालात पर नजर रखने वाले लोगों को कहना है कि भारतीय पक्ष हालात से पूरी तरह से वाकिफ था। इंडियन एयरफोर्स का हैवी लिफ्ट एयरक्राफ्ट, खासतौर पर सी-17 ग्लोबमास्टर्स पिछले कई दिनों से लगातार स्टैंडबाई मोड पर है। खतरे की आहट होने पर वह बेहद शॉर्ट नोटिस पर भी लोगों को निकालना शुरू कर देगा।
अभी तक भारतीय पक्ष यह अनुमान लगा रहा था कि तालिबान के काबुल में प्रवेश करने में कुछ वक्त लगेगा। लेकिन रविवार को तालिबान के मूवमेंट के बारे में आई मीडिया रिपोर्ट्स के बाद इस बारे में तेजी से बातचीत शुरू हुई है। वहीं काबुल स्थित भारतीय दूतावास में मौजूद कागजात और कंप्यूटर को नष्ट करने की भी योजना बनाई गई है। फिलहाल यही एकमात्र दूतावास है, जो सक्रिय है।
हेरात, जलालाबाद, मजार ए शरीफ और कांधार स्थित दूतावासों से पिछले कुछ साल में पहले ही स्टाफ को हटाया जा चुका है। बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक तालिबान लड़ाके हर तरफ से काबुल में प्रवेश कर रहे हैं। जलालाबाद में बिना किसी प्रतिरोध के कब्जा करने के कुछ घंटों बाद तालिबान का यह कदम सामने आया है।
वहीं ऐसी खबरें भी सामने आई हैं, जिनमें कहा गया है कि लोग अपने पैसे निकालने के लिए बैंकों की तरफ भाग रहे हैं। इसके अलावा अफगानिस्तान छोड़ने के लिए फॉरेन एंबेसीज में वीजा अप्लाई करने वालों की संख्या भी बढ़ी है। पिछले कुछ दिनों में भारतीय दूतावास में भी वीजा के लिए अप्लीकेशन की संख्या बढ़ी है। गौरतलब है कि फिलहाल काबुल एयरपोर्ट ही एकमात्र रास्ता है, जहां से अफगानिस्तान से बाहर जाया जा सकता है। इसके अलावा सभी सीमाओं पर तालिबान का नियंत्रण हो चुका है।