लखनऊ। मध्य प्रदेश में कांग्रेस और बीजेपी के बीच जारी विधायकों की खरीद-फरोख्त गुरुवार रात को सियासी युद्ध में तब्दील हो गई। शाम को कांग्रेस के एक ‘लापता’ विधायक ने इस्तीफा दे दिया।
इसके ठीक बाद बीजेपी के दो विधायक सीएम कमलनाथ के सरकारी आवास पहुंच गए। विधायकों को अपने पाले लाने के लिए रातभर चली जंग से अब कांग्रेस और बीजेपी दोनों की ही टेंशन काफी बढ़ गई है।
डंग के साथ बेंगलुरु भेजे गए कांग्रेस के अन्य विधायक बिसाहूलाल सिंह, रघुराज सिंह कंषाना और निर्दलीय विधायक सुरेंद्र सिंह शेरा गुरुवार से भोपाल नहीं लौटे हैं। माना जा रहा है कि आज कांग्रेस के कुछ और विधायक इस्तीफा दे सकते हैं।
अगर ये विधायक इस्तीफा देते हैं तो कमलनाथ सरकार संकट में घिर जाएगी। विधायकों के तेवर से साफ नजर आ रहा है कि वे झुकने के मूड में नहीं हैं। अगर ऐसा होता है कमलनाथ सरकार का विधानसभा में संख्याबल गड़बड़ा सकता है।
गुरुवार रात 8 बजे सत्तारूढ़ कांग्रेस के 4 ‘लापता’ विधायकों में शामिल हरदीप सिंह डंग ने इस्तीफा दे दिया। इसके बाद कांग्रेस ने भी पलटवार किया। बीजेपी के बागी विधायक नारायण त्रिपाठी सीएम कमलनाथ के घर पहुंच गए।
त्रिपाठी ने इसके बाद स्पीकर से भी मुलाकात की। पहले ऐसी अफवाह थी कि बीजेपी विधायक ने इस्तीफा दे दिया है लेकिन उन्होंने कहा कि अपने ‘विधानसभा क्षेत्र के विकास’ के लिए उन्होंने सीएम से मुलाकात की है।
ऐसी अटकलें हैं कि एक या दो और बीजेपी विधायक सीएम आवास में देखे गए हैं। रात को करीब 1 बजे बीजेपी विधायक संजय पाठक को सीएम आवास से निकलते देखे गए।
त्रिपाठी के सीएम आवास पहुंचने से पहले राज्य सरकार में मंत्री गोविंद सिंह ने घोषणा की कि दो बीजेपी विधायक रात में कांग्रेस जॉइन करेंगे। इसके बाद ऐसी अटकलें शुरू हो गईं कि बीजेपी विधायक शरद कोल दूसरे विधायक हो सकते हैं लेकिन वह सीएम आवास में नहीं देखे गए।
कमलनाथ सरकार को बचाने के लिए कांग्रेस पार्टी एक फॉर्म्युले पर काम कर रही है। इसके तहत जल्द ही मंत्रिमंडल का विस्तार किया जा सकता है। पूरे संकट को सुलझाने के लिए कमान खुद सीएम कमलनाथ और पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने संभाल ली है।
कांग्रेस के नेता गुलाम नबी आजाद और कपिल सिब्बल भी बीजेपी के इस दांव को फेल करने में लग गए हैं। कांग्रेस की रणनीति है कि विधायकों के विश्वास को बनाए रखा जाए और बीजेपी के विधायकों को तोड़ा जाए।
कांग्रेस की कोशिश है कि बीजेपी किसी भी तरह से 8 विधायकों को न तोड़ सके। निर्दलीयों से कहा जा रहा है कि वे जो मांगेंगे, उन्हें तत्काल मिलेगा। यही नहीं निर्दलीय विधायकों को मंत्री भी बनाया जा सकता है। संभावना है कि जल्द ही प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की भी नियुक्ति कर दी जाए जिसके लिए ज्योतिरादित्य सिंधिया प्रयासरत हैं।