नई दिल्ली। प्रवर्तन निदेशालय ने ऑक्सीजन सांद्रकों की कथित जमाखोरी तथा कालाबाजारी के हालिया मामले में कारोबारी नवनीत कालरा और उनके कुछ साथियों के दिल्ली-एनसीआर में कम से कम 10 परिसरों पर शुक्रवार को छापेमारी की। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि धन शोधन निवारण अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत राष्ट्रीय राजधानी में कम से कम 10 स्थानों पर छापेमारी की जा रही है। उन्होंने बताया कि छापेमारी का मकसद मामले में अतिरिक्त सबूत एकत्रित करना है।
ईडी ने हाल ही में कालरा और अन्य के खिलाफ धनशोधन रोधी कानून के तहत मामला दर्ज किया था। इसके लिए उसने पांच मई को दर्ज दिल्ली पुलिस की प्राथमिकी पर संज्ञान लिया था जब कुछ पुलिसकर्मियों ने कालरा के स्वामित्व वाले एवं उनसे जुड़े कुछ परिसरों एवं रेस्तरां में छापे मारे थे। पुलिस ने इन परिसरों से 524 से अधिक जीवनरक्षक मशीनें जब्त किए थे और यह आरोप लगाया था कि इनकी जमाखोरी की गई और इन्हें काला बाजार में बेचा जा रहा था।
कालरा ने सभी आरोपों को खारिज करते हुए दावा किया है कि इन सांद्रकों को नियमित बिक्री के लिए रखा गया था। यहां की एक स्थानीय अदालत ने बृहस्पतिवार को उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया था। अधिकारियों ने इससे पहले बताया कि एजेंसी इस बात की जांच करेगी कि क्या ऑक्सीजन सांद्रक अवैध रूप से जमा किए गए थे और कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों के परिवारों या उनके तीमारदारों को बहुत ज्यादा कीमतों पर बेचे गए थे जो पीएमएलए के तहत परिभाषित अपराध से प्राप्त सामग्रियों के दायरे में आएगा।
प्रवर्तन निदेशालय को आरोपी से पूछताछ और बयान रिकॉर्ड करने की शक्ति प्राप्त होती है और वह जांच के दौरान उनकी संपत्ति तक भी कुर्क कर सकता है। इसके बाद वह विशेष पीएमएलए अदालत के समक्ष आरोप-पत्र दायर कर सकता है और धनशोधन रोधी कानून के तहत अपना अभियोजन चलाने का अनुरोध कर सकता है। कालरा को दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा के कर्मियों ने गुड़गांव से रविवार रात को पकड़ा था और अगले दिन औपचारिक रूप से गिरफ्तार किया था।
वह खान चाचा, टाउन हॉल और नेगा एंड जू जैसे अपने रेस्तरां से 500 से अधिक ऑक्सीजन सांद्रकों की जब्ती के बाद से एक हफ्ते से फरार चल रहा था। पुलिस ने कहा था कि कालरा के रेस्तरां से जब्द सांद्रक चीन से आयातित थे और उन्हें 16 हजार से 22 हजार रुपये के बजाय 50 हजार से 60 हजार की कीमत पर बेचा जा रहा था। ऑक्सीजन सांद्रक कोविड-19 मरीजों के इलाज में महत्वपूर्ण उपकरण माने जाते हैं और संक्रमण की दूसरी लहर में इनकी भारी मांग है।
पुलिस ने कालरा और अन्य के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (भादंसं) की धारा 420 (धोखाधड़ी), 188 (लोकसेवक के आदेश की अवज्ञा), 120-बी (आपराधिक षड्यंत्र) और 34 (सामान्य इरादे) के तहत तथा आवश्यक सामग्री अधिनियम और महामारी रोग कानून के तहत आरोप लगाए हैं। पुलिस ने इस मामले में मैट्रिक्स सेलुलर कंपनी के सीईओ और उपाध्यक्ष समेत चार कर्मचारियों को भी गिरफ्तार किया है। हालांकि, अदालत ने उन्हें जमानत दे दी है। कालरा पर मैट्रिक्स सेलुलर से सांद्रक खरीदने का आरोप है।