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ऐसा पहली बार हो रहा है, गांव के गांव डूबते जा रहे हैं, लेकिन मुख्यमंत्री गम्भीर ही नहीं : सपा


राहुल यादव, लखनऊ।

पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने आज वीडियोकालिंग के जरिए आजमगढ़ में बाढ़ की स्थिति पर जिलाधिकारी से बात कर उन्हें राहत कार्यों में तेजी लाने के लिए कहा। यादव ने बताया कि आजमगढ़ में नदियां उफान पर हैं। सैकड़ों गांव जलमग्न हैं। पशुओं को चारा नहीं मिल रहा है। लोग ऊंची जगहों या छतों पर बैठे हैं। अभी तक तहसील के अधिकारियों ने उनकी सुध नहीं ली है।
      अखिलेश यादव ने आज आजमगढ़ जनपद के बाढ़ग्रस्त इलाकों का ब्यौरा स्थानीय लोगों से प्राप्त किया। अंगद प्रधान ने बताया कि दर्जनों गांवों में घाघरा के बाढ़ का पानी घुस गया है। लोगों को अंधेरे में छतों, छप्परों पर बैठकर रात गुजारनी पड़ रही है। कच्चे घर गिर रहे हैं, बीमार लोगों को दवा नहीं मिल रही है। कोई अधिकारी देखने नहीं आया है।
     सगड़ी तहसील के दुर्गेश यादव ने बताया कि गोपालपुर विधानसभा क्षेत्र के तमाम गांवों में बाढ़ के प्रकोप से लोग नारकीय जीवन बिता रहे हैं। करीब 250 गांवों में लोग फंसे हुए हैं। अगर बड़ी नाव की व्यवस्था होती तो आदमी और पशुओं को सुरक्षित स्थान के लिए निकाला जा सकता था। सोमवार की सुबह 02ः00 बजे टेकनपुर गांव के पास तटबंध टूट गया। 20 हजार से ज्यादा लोग प्रभावित हुए हैं। उन्होंने बताया कि गन्ना किसानों का एक साल का भुगतान बकाया है। चीनी मिल मालिक हीलाहवाली कर रहे हैं। किसान क्या करे, कहां जाए?
   प्राप्त सूचनानुसार गोण्डा, गोरखपुर, बहराइच, लखीमपुर खीरी, देवरिया, मऊ, बस्ती, बाराबंकी, कुशीनगर, सीतापुर, बलरामपुर, आदि जनपदों के विभिन्न गांवों में बाढ़ ने तबाही मचा रखी है। सैकड़ों गांवों का सम्पर्क बाहरी इलाकों से टूट गया है। घाघरा ने कई तटबंध काट दिए हैं। देवरिया में तटबंध कटने लगे हैं। गोण्डा में भिखारीपुर बांध कट गया है और तटबंध टूट चुके हैं और रेल की पटरियां तक डूब गई हैं।
       नाव की व्यवस्था से लेकर स्वास्थ्य-चिकित्सा, पशुओं के लिए चारा तथा तटबंधों की निगरानी में प्रशासन कोई रूचि नहीं ले रहा है। भोजन, चारा, दूध, किरोसिन के अभाव में लोग परेशान हैं। समाजवादी पार्टी के विधायक सहित एक प्रतिनिधिमण्डल ने जिलाधिकारी को ज्ञापन देकर बाढ़ स्थिति की जानकारी दी थी किन्तु प्रशासन ने उस पर ध्यान नहीं दिया।
     समाजवादी पार्टी ने आजमगढ़ जनपद सहित अन्य जनपदों को बाढ़ग्रस्त घोषित करने, गन्ने का 70 प्रतिशत बकाया भुगतान कराने, फसलों की हुई क्षति तथा जो धान डूब गया है उसका मुआवजा देने और प्रशासन की तरफ से मिट्टी का तेल तथा खाद्य पदार्थ की सप्लाई किए जाने की तत्काल व्यवस्था किए जाने की मांग की है।
       सब जगह एक ही आवाज सुनाई पड़ती है कि जब हर साल बांध आती है तो उसकी रोकथाम के लिए कोई भी कार्यवाही शासन स्तर से क्यों नहीं होती है। भाजपा सरकार में ऐसा पहली बार हो रहा है कि गांव के गांव डूबते जा रहे है, चारों तरफ हाहाकार मचा है लेकिन न तो मुख्यमंत्री गम्भीर दिख रहे हैं और नहीं जिलों के अधिकारी सक्रिय हो रहे हैं। लोगों की जिन्दगी भगवान भरोसे है। मूक पशुओं का तो और भी बुरा हाल है।
                                             

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