कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की अध्यक्षता में मंगलवार को 18 विपक्षी दलों के साथ संसद भवन में उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के नाम पर सहमति बनाने के लिए बैठक शुरू हो गई है. बैठक में देश के तमाम बड़े नेता मौजूद हैं. आपको बता दें कि इस महत्वपूर्ण बैठक में सोनिया गांधी, राहुल गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, मल्लिकार्जुन खड़गे, गुलाम नबी आजाद, अहमद पटेल, ए के एंटनी, डेरेक ओ ब्रायन (टीएमसी), जयप्रकाश नारायण यादव (आरजेडी), नरेश अग्रवाल (एसपी), प्रफुल पटेल (एनसीपी), तारिक अनवर एलांगवन (डीएमके), शरद यादव, उमर अब्दुल्ला, हेमंत सोरेन और अजित सिंह जैसे नाम शामिल हैं.
माना जा रहा है कि विपक्षी पार्टियां, और खासतौर पर कांग्रेस राष्ट्रपति चुनाव के दौरान हुई गलतियों को दोहराना नहीं चाहेगी. जिसकी वजह से विपक्ष की एकता में फूट पड़ गई और जेडीयू ने NDA के उम्मीदवार रामनाथ कोविंद के समर्थन की घोषणा कर दी.
राष्ट्रपति पद के लिए मीरा कुमार का नाम घोषित करने के बाद कांग्रेस ने यह बात मानी थी कि असमंजस और फैसला लेने में देरी विपक्षी खेमे के लिए ठीक नहीं रही. उसके बाद कांग्रेस और जेडीयू के बीच में जो किचकिच हुई उससे स्थिति और बिगड़ गई.
विपक्षी दलों की बैठक ऐसे समय पर हो रही है जब लालू यादव और उनके परिवार के ऊपर सीबीआई के छापे सुर्खियों में हैं. 17 जुलाई से संसद का सत्र भी शुरू हो रहा है और विपक्षी पार्टियां इसको लेकर भी रणनीति तैयार करेंगी. सबकी नजर इस बात पर होगी कि राष्ट्रपति चुनाव में विपक्षी एकता को गच्चा देने वाली जेडीयू का रूख इस बार क्या होता है.
नहीं आएंगे नीतीश कुमार!
जानकारी के मुताबिक अभी तक के हिसाब से जनता दल यूनाइटेड इस बार बैठक में शामिल होगा. मौके की नजाकत को देखते हुए, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सोमवार को फोन पर जेडीयू के नेताओं के संपर्क में थे और उनसे बैठक में जरूर आने की अपील कर रहे थे. शरद यादव ने सोमवार को खुद ये कहा कि वो विपक्षी दलों की बैठक में हिस्सा लेने जाएंगे. लेकिन मंगलवार को ही पटना में जेडीयू ने अपने विधायकों की बैठक बुलाई है जिसमें लालू यादव और उनके परिवार पर पड़े छापों के बाद की राजनीतिक स्थिति पर चर्चा की जाएगी. सूत्रों के मुताबिक फिलहाल इस बात की उम्मीद कम है कि नीतीश कुमार फौरन तेजस्वी यादव के इस्तीफे के लिए दबाव बनाएं.
नीतीश कुमार की तरह लालू यादव भी मंगलवार को विपक्षी दलों की बैठक में खुद नहीं आएंगे. आरजेडी की तरफ से जे पी यादव बैठक में शरीक हो सकते हैं. उपराष्ट्रपति के तौर पर विपक्ष के उम्मीदवार की जीतने की कोई संभावना नहीं है. उपराष्ट्रपति के चुनाव के लिए सत्तारूढ़ दल के पास कुल 790 वोट में से करीब साढ़े पांच सौ वोट हैं. उपराष्ट्रपति राज्यसभा के सभापति भी होते हैं और उपराष्ट्रपति के चुनाव में लोकसभा और राज्यसभा के सभी सांसद हिस्सा लेते हैं.
विपक्षी पार्टियां चाहती हैं कि कांग्रेस मीरा कुमार को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाने के बाद कम से कम उपराष्ट्रपति पद के लिए किसी गैर कांग्रेसी व्यक्ति को उम्मीदवार घोषित करे जो सबको मंजूर हो. सूत्रों के मुताबिक समिति बनाने के लिए किसी गैर राजनीतिक व्यक्ति के नाम पर सहमति बन सकती है. उन नामों पर भी चर्चा हो सकती है जो राष्ट्रपति चुनाव के समय विपक्ष के खेमे में चर्चा में थे जैसे गोपाल कृष्ण गांधी और प्रकाश आंबेडकर.
एकजुटता दिखाने की कोशिश
उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार की रेस में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश का नाम भी चर्चा में है. कांग्रेस को चिंता इस बात की है कि विपक्ष का उम्मीदवार हारे या जीते यह संदेश नहीं जाना चाहिए कि विपक्षी एकता में फूट पड़ चुकी है. खास बात यह है कि राष्ट्रपति पद के लिए NDA के उम्मीदवार को समर्थन की घोषणा करने से पहले जेडीयू ने विपक्ष की उस बैठक में हिस्सा लिया था जिस में विपक्ष उम्मीदवार को लेकर चर्चा हुई थी. लेकिन माना जा रहा है कि इस बार नीतीश कुमार विपक्षी खेमे में ही रहेंगे. हालांकि इस बारे में अंतिम फैसला नीतीश कुमार को ही करना है और पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को भी इस बारे में अभी नहीं बताया गया है.
लगातार दो बार उपराष्ट्रपति चुने जाने वाले हामिद अंसारी का कार्यकाल 10 अगस्त को खत्म हो रहा है. अगर जरूरत पड़ी तो उपराष्ट्रपति का चुनाव 5 अगस्त को होगा और नतीजों का ऐलान भी उसी दिन कर दिया जाएगा. उपराष्ट्रपति का चुनाव गुप्त मतदान से होता है और उसके लिए पार्टियां व्हिप जारी नहीं कर सकती. अभी तक सर्वपल्ली राधाकृष्णन, मोहम्मद हिदायतुल्ला और शंकर दयाल शर्मा ही ऐसे तीन उपराष्ट्रपति हैं जिन्हें निर्विरोध चुन लिया गया था.