अशाेक यादव, लखनऊ। कोरोना की दूसरी लहर में अब तक का यूपी में सारा रिकॉर्ड टूट गया है। कोरोना के नए आंकड़ों ने अब डराना शुरू कर दिया है। 24 घंटे के अंदर पूरे प्रदेश में 12 हजार 787 नए मरीजों की पुष्टि हुई है, जबकि 48 संक्रमितों की मौत हो गई।
स्वास्थ्य विभाग की जानकारी के अनुसार एक दिन पहले यूपी में 9695 मरीज मिले थे। आठ अप्रैल को यही आंकड़ा करीब 8490 था। यूपी में अब तक करीब 6,76,739 संक्रमित पहुंच गए हैं।
प्रदेश में जिले स्तर पर चिन्हित संक्रमित मरीजों की संख्या के मामले में राजधानी लखनऊ अब भी शीर्ष पर बना हुआ है। आपको बता दें कि एक दिन पहले प्रदेश में रिकार्ड 9695 नए केस मिले थे जो पिछले वर्ष मार्च से शुरू हुए कोरोना काल का सर्वाधिक थे।
शुक्रवार को कोरोना से 37 लोगों की मौत हुई थी, जबकि ठीक दो दिन पहले यह संख्या 39 थी। राजधानी लखनऊ में सबसे ज्यादा 2934 नए संक्रमित मिले थे, जबकि 14 लोगों की मौत हो गई थी। बीते गुरुवार को प्रदेश में संक्रमण के कुल 8490 और लखनऊ में 2369 नए मामले आए थे।
देश सहित प्रदेश में कोरोना की दूसरी लहर को लेकर प्रदेश सरकार ने चिंता जताई है। कोरोना संक्रमण के तेजी से हो रहे विस्तार को देखते हुए इससे निपटने के लिए सरकार दूनी ताकत से जुट गई है। प्रदेश भर में विभिन्न जिलों में वहां के बढ़ते मरीजों की जरूरतों को देखते हुए युद्धस्तर पर सारे इंतजाम शुरू कर दिए गए हैं।
बेड से लेकर आक्सीजन, वेंटिलेटर व सूई एवं दवाओं के साथ-साथ डाक्टरों व पैरामेडिकल स्टाफ की तैनाती भी शुरू कर दी गई है। अब तक लेवल वन से लेवल थ्री तक के अस्पतालों में अधिकतम 1.51 लाख बेड की व्यवस्था थी, जिसे बढ़ा करीब दो लाख तक किया जा रहा है।
कोरोना की दूसरी लहर ने प्रदेश ही नहीं पूरे देश में अपने पैर फैला दिए हैं। यूपी के लखनऊ इसका असर सबसे ज्यादा देखने को मिला है। कोरोना संक्रमण के चलते यूपी में अब तक का सारा रिकॉर्ड टूट चुका है। शनिवार को कोरोना के सबसे ज्यादा केस मिले हैं। यह आंकउ़ा 12 हजार के पार पहुंच चुका है।
वहीं बलरामपुर अस्पताल में भी कोरोना ने धावा बोल दिया है। बलरामपुर अस्पताल के डायरेक्टर, सीएमएस और अधीक्षक सहित सात लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं। डायरेक्टर को पीजीआई में भर्ती कराया गया है। कोरोना संक्रमण के चलते अस्पताल की ओपीडी को बंद कर दिया गया है।
बलरामपुर अस्पताल के सीएमएस डॉ. एके गुप्ता के मुताबिक पांच लोगों की कमेटी बना बनाई गई है, जो इन सभी चीजों को मॉनीटर कर रही हैं। वहीं संक्रमण की रफ्तार रोकने के लिए मरीजों को यहां आने से रोका गया है। इसी वजह से ओपीडी सेवा भी बंद कर दी गई है।
कोरोना संक्रमण से जुड़े आकड़े के अनुसार प्रदेश के 21 जिले ऐसे हैं जहां 500 से ज्यादा सक्रिये केस हैं। ऐसे में जरूरत के अनुसार एक-दूसरे जिलों में आक्सीजन सिलेंडर से लेकर विशेषज्ञ डाक्टरों को स्थानांतरित किए जाने की कार्यवाही भी शुरू कर दी गई है।
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के महानिदेशक डा. डीएस नेगी की माने तो आकस्मिक स्थिति को देखते हुए प्रदेश में बेड की संख्या पौने दो लाख से लेकर दो लाख तक पहुंचाने के प्रयास किए जा रहे हैं। कुछ जिलों में विशेष कोरोना अस्पताल भी तैयार तत्काल तैयार करने को कहा गया है।
प्रयास यह भी हो रहा है कि जिलों के रोगियों को उनके मंडल मुख्यालय के अस्पतालों में ही इलाज की पर्याप्त सुविधा मुहैय्या हो जाए ताकि वह लखनऊ, नोएडा या अन्य महानगरों में इलाज के लिए जाने को मजबूर न हों।
उन्होंने कहा कि ऐसे जिले जहां कोविड के कम मरीज हैं और वहां विशेषज्ञ डाक्टर व आक्सीजन की व्यवस्था अधिक है, उन जिलों से दूसरे जिले जहां ज्यादा रोगी हैं। जरूरत के अनुसार उन्हें वहां स्थानान्तरित किया जाएगा, ताकि आक्सीजन की कोई समस्या न रह जाए।
साथ ही मरीज को उसके पास के जिले में ही अच्छा इलाज मिल जाए। विदित हो कि पिछले वर्ष अगस्त -सितंबर महने में कोरोना के मरीजों की संख्या में काफी अधिक वृद्धि होने पर आक्सीजन व विशेषज्ञ डाक्टरों से इलाज की सुविधा न मिलने के कारण बड़े शहरों में रोगियों की काफी भीड़ जुट गई थी, इसे काबू करना कठिन हो गया था। लिहाजा उसी को ध्यान में रखकर समय रहते सारे इंतजाम किए जा रहे हैं।