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निपाह ने केरल में दी दस्तक: अब तक नौ लोगों की मृत्यु, वायरस फैलने की ये है बड़ी वजह

लखनऊ: केरल के कोझीकोड में इन दिनों निपाह नाम के खतरनाक वायरस का आतंक है. ये वहां लगातार फैल रहा है. इससे कई मौतों की खबर है. इस वायरस से फैलने वाली बीमारी अलग अलग समय पर दुनिया में तबाही मचा चुकी है. नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी, पुणे ने तीन नमूनों में निपाह वायरस की मौजूदगी पाई है.

ये वायरस संक्रामक तौर पर महामारी का रूप ले सकता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, निपाह वायरस (NiV) एक नई उभरती हुई बीमारी है, जो जानवरों और मनुष्यों दोनों में गंभीर बीमारी की वजह बनता है. इसे ‘निपाह वायरस एन्सेफलाइटिस’ भी कहा जाता है. इस वायरस से केरल में अब तक नौ मौतें हों चुकी हैं.

निपाह नाम का वायरस संक्रामक बीमारी फैलाता है. ये 1998 में मलेशिया और 1999 में सिंगापुर में फैल चुका है. ये पहले पालतू सुअरों के जरिए फैला और फिर कई पालतू जानवरों मसलन कुत्तों, बिल्लियों, बकरी, घोड़े और भेड़ में दिखने लगा. ये मनुष्यों पर तेजी से असर डालता है. निपाह वायरस को ये नाम सबसे पहले मलेशिया के एक गांव में फैलने के बाद दिया गया. इसे विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अपनी सूची में शामिल किया हुआ है.

भारत और बांग्लादेश जैसे देशों में ये बीमारी चमगादड़ों के जरिए सीधे मनुष्य से मनुष्य में ट्रांसमीट होती है. इसलिए जिन लोगों को ये बीमारी होती है, उनसे संपर्क में आने के लिए जरूरी सावधानियां बरतनी चाहिए. कुछ केस में रोगी को सांस संबंधित समस्‍या का भी सामना करना पड़ सकता है.

जिस किसी को निपोह वायरस इन्फैक्ट करते हैं, उसे बुखार के साथ सिर दर्द, थकान, भटकाव, मेंटल कंफ्यूजन जैसी स्थितियां बनती हैं. निपाह वायरस के रोगी 24-48 घंटों के भीतर कोमा में जा सकते हैं. फिर मौत भी हो सकती है. इससे ब्रेन में सूजन आ जाती है. मलेशिया में जब ये बीमारी फैली, तो इसका इलाज करने वाले 50 फीसदी लोग मौत के शिकार बन गए.

इसका कोई पुख्ता इलाज नहीं है. अभी तक इसकी कोई वैक्सीन नहीं बनी है.

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