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जानिए क्यों होती है धनवंतरी की पूजा? धनतेरस पर बर्तन-चांदी खरीदना क्यों होता है शुभ

धनतेरस पर धनवंतरि देव की पूजा होती है। इनको आयुर्वेद का आचार्य भी कहा जाता है। ये देवताओं के वैद्य हैं। देव धनवंतरि को लक्ष्मी का भाई भी माना जाता है। इन्हीं के अवतरित होने से जुड़ी है धनतेरस के दिन बर्तन खरीदने की परंपरा। जब समुद्र मंथन हो रहा था तब सागर की अतल गहराइयों से चौदह रत्न निकले थे। धनवंतरि इन्हीं रत्नों मे से एक हैं। जब देवता और दानव मंदार पर्वत को मथनी बनाकर वासुकी नाग की मदद से समुद्र का मंथन कर रहे थे, तब 13 रत्नों के बाद कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को 14वें रत्न के रूप में धनवंतरि सामने आए। वो अमृत कलश के साथ प्रकट हुए थे। धनवंतरि के प्रकट होते ही देवताओं और दानवों का झगड़ा शुरू हो गया। अमृत कलश के लिए देवताओं और दानवों के बीच छीना-झपटी शुरू हो गई। लेकिन भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धरकर अमृत कलश हासिल कर लिया।
क्यों होती है धनवंतरि की पूजा?
धनवंतरि अमृत यानी जीवन का वरदान लेकर प्रकट हुए थे। आयुर्वेद के जानकार भी थे, इसलिए उन्हें आरोग्य का देवता माना जाता है। वैसे तो धन और दौलत की देवी लक्ष्मी देती हैं, लेकिन उनकी कृपा पाने के लिए सेहत और लंबी आयु की जरूरत होती है। यही वजह है कि धनतेरस के मौके पर धनवंतरि की पूजा की जाती है।
धनतेरस पर क्यों खरीदते हैं बर्तन?
कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को भगवान धनवंतरि कलश लेकर प्रकट हुए थे इसलिए इस तिथि को बर्तन खरीदने की परम्परा है। माना जाता है कि धनतेरस के दिन आप जितनी खरीदारी करते हैं, उसमें 13 गुणा वृद्धि होती है।
क्यों खरीदते हैं धनतेरस पर चांदी?
दरअसल चांदी को चन्द्रमा का प्रतीक माना जाता है जो शीतलता प्रदान करता है। यह स्वास्थ्यकारक भी माना गया है जो निरोगी काया और तेज़ दिमाग देता है। चंद्रमा के प्रभाव से मन में संतोष के धन का वास होता है और इसे सबसे बड़ा धन कहा गया है। जिसके पास संतोष और स्वास्थ्य है, उसी को सबसे धनवान माना जाता है।

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