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Raksha Bandhan 2019 : क्या आप जानते है भाई को तिलक-चावल लगाकर ही क्यों बांधी जाती है राखी Raksha Bandhan 2019 : क्या आप जानते है भाई को तिलक-चावल लगाकर ही क्यों बांधी जाती है राखी

Raksha Bandhan 2019 : रक्षाबंधन पर भाई को तिलक और चावल लगाकर ही क्यों बांधी जाती है राखी क्या आप इसके बारे में जानते हैं। अगर नहीं तो आज हम आपको इसके बारे में बताएंगे। शास्त्रों में तिलक को अधिक महत्व दिया गया है। माना जाता है कि तिलक के बिना कोई भी पूजा अधूरी है। इसी के साथ चावल को शुभता को प्रतीक माना गया है। रक्षाबंधन का पर्व 15 अगस्त 2019 के दिन पूरे भारत वर्ष में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा। यह त्योहार भाई – बहन को समर्पित है। तो आइए जानते हैं रक्षाबंधन पर भाई को तिलक और चावल लगाकर ही क्यों राखी बांधी जाती है।

रक्षाबंधन पर क्यों लगाए जाते है भाई को तिलक और चावल
रक्षाबंधन पर सभी बहनें अपने भाई को राखी बांधने से पहले उसका तिलक करती हैं और उस तिलक पर चावल लगाती हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि ऐसा क्यों किया जाता है। शास्त्रों में इसके पीछे का कारण क्या बताया गया है।अगर आपको इसके बारे में नहीं पता तो आज हम आपको इसके बारे में बताएंगे। शास्त्रों के अनुसार लाल चंदन, रोली, सफेद चंदन, भस्म आदि का तिलक शुभ माना जाता है।इसलिए किसी भी शुभ कार्य को करने से पहले तिलक किया जाता है।इसलिए रक्षाबंधन के दिन भी बहनें अपने भाई का तिलक करती है। यह तिलक मस्तिष्क के बीच में यानी चेहरे पर दोनों भौहों के बीच में किया जाता है। तिलक के लिए रोली, लाल चंदन, सफेद चंदन का प्रयोग किया जाता है। तिलक को विजय, पराक्रम, सम्मान और श्रेष्ठता का प्रतीक माना जाता है।

तिलक करने के बाद उस तिलक पर चावल अवश्य लगाए जाते हैं। राखी का त्यौहार पूर्णिमा के दिन पड़ने से चावल का महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है। पूर्णिमा के दिन चंद्रमा का बल अधिक होता है और चावल को चंद्रमा की वस्तु माना जाता है। चंद्रमा जो मन का कारक भी माना जाता है। तिलक के ऊपर चावल लगाने से मन और मस्तिष्क दोनों में शांति का वास होता है। कच्चे चावल सकारात्मक ऊर्जा भी प्रदान करता है। इसी के साथ कच्चे चावल को सिर के पीछे भी फेंकने का रिवाज है। माना जाता है कि चावलों को आगे की और से सिर के पीछे की तरफ फेंकने से नकारात्मक ऊर्जा सकारात्मक ऊर्जा में परिवर्तित हो जाता है। जिसके बाद वह व्यक्ति जिसके ऊपर से चावल फेंके गए हैं। वह अपने जीवन को सकारात्मक रूप से जिए और उसके आस- पास भी नकारात्मकता न भटके।

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