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अब खेतों में काम करने वाले कामगार और घरेलू सहायकों को भी मिलेगा न्यूनतम वेतन का अधिकार

नई दिल्ली : केंद्रीय श्रम सचिव एचएल समारिया ने बुधवार को कहा कि देश के खेतों में काम करने वाले कामगार और घरेलू सहायक भी श्रम कानून के दायरे में लाये जायेंगे और उनके पास भी न्यूनतम वेतन पाने का अधिकार होगा. उन्होंने कहा कि हम देश के सभी 50 करोड़ कर्मचारियों को प्रतीक्षित श्रम संहिता के दायरे में लायेंगे और उनके पास न्यूनतम वेतन पाने का अधिकार होगा. इसमें घरेलू सहायक और खेतों में काम करने वाले कामगार भी शामिल होंगे.श्रम सचिव समारिया ने कहा कि सरकार का उद्देश्य सभी श्रम कानूनों को चार व्यापक संहिताओं में मिलाकर कम से कम कानूनों के साथ बेहतर शासन देना है. उन्होंने कहा कि श्रम मंत्रालय चार संहिताओं को पेश करना चाहता है. ये संहिताएं सभी श्रम कानूनों की जगह लेंगी.

ये चार संहिताएं वेतन, औद्योगिक सुरक्षा, सामाजिक सुरक्षा और औद्योगिक संबंध से जुड़ी हैं. श्रम सचिव समारिया ने यहां आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान ने कहा कि हमारा उद्देश्य कम कानून, छोटी सरकार और कारगर सरकार का है, ताकि हर व्यक्ति की शासन में भागीदारी सुनिश्चित हो सके. उन्होंने कहा कि इन सभी चार श्रम संहिताओं के साथ हम नियोक्ताओं की मुश्किलों को कम करने का इरादा लेकर चल रहे हैं. हम एक पंजीकरण, एक लाइसेंस, एक फॉर्म और एक अनुपालन प्रक्रिया चाहते हैं, लेकिन इसमें दोनों पक्षों की तरफ से धोखाधड़ी नहीं होनी चाहिए. यह दोनों पक्षों के लिए परस्पर फायदे की स्थिति होगी. सचिव ने कहा कि शुरू में देश में 45 केंद्रीय श्रम कानून थे. अब सिर्फ 32 केंद्रीय श्रम कानून हैं. समारिया ने नियोक्ताओं के अखिल भारतीय संगठन की ओर से आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि हम इन कानूनों को चार संहिताओं में समाहित करके सरल और तर्कसंगत बना रहे हैं.

यह कामगारों के लिए कारगार साबित होगा. लोकसभा ने मंगलवार को चार सहिंताओं में से एक मजदूरी संहिता संबंधी विधेयक को मंजूरी दे दी. इसी सत्र में इसे राज्यसभा से भी मंजूरी मिलने की उम्मीद है. इसके अलावा, सरकार ने व्यावसायिक सुरक्षा और स्वास्थ्य एवं कार्यस्घ्थल स्थिति विधेयक को भी लोकसभा में पेश किया गया है. इससे 13 केंद्रीय श्रम कानूनों को नयी संहिता के दायरे में लाया गया है. अधिकारी ने कहा कि हमारे पास 50 करोड़ कर्मचारी हैं. असंगठित क्षेत्र में करीब 42 करोड़ श्रमिक हैं. समारिया ने कहा कि करीब 60 फीसदी श्रमिक न्यूनतम मजदूरी अधिनियम के अंतर्गत नहीं आते हैं. उनके पास न्यूनतम मजदूरी का अधिकार नहीं है. अब, हम सभी 50 करोड़ कर्मचारियों को इसके दायरे में लायेंगे और उनके पास न्यूनतम वेतन पाने का अधिकार होगा. इसमें घरेलू सहायक और खेतों में काम करने वाले कामगार भी शामिल होंगे.

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